Ajay Devgn की जबरदस्त एंट्री… पर कॉमेडी में दम नहीं, Son of Sardaar 2 रह गई फीकी!

 

 

क्या है ख़ास ‘Son of Sardaar 2′ में?’Son of Sardaar 2’ अपने पहले भाग की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश करता है, लेकिन इस बार सिनेमाघरों में पंजाबी हंसी का तड़का हल्का सा फीका लगता है। कहानी जस्सी (अजय देवगन) की वापसी के इर्द-गिर्द घूमती है, लेकिन इस बार न तो ड्रामा दमदार है और न ही कॉमेडी सटीक।
जबरदस्ती ठूंसी गई स्कॉटलैंड की लोकेशन्स, स्क्रिप्ट में फिट नहीं बैठतीं — जैसे पंजाबी परांठों के साथ पास्ता परोसा गया हो। स्टंट्स भी अधिकतर CGI से बने हुए दिखते हैं, जिनमें असल एक्शन का दम कम और हवा में उड़ते किरदारों की भरमार ज़्यादा है। हां, फुल-ऑन स्लो-मो ड्रामा देखने वालों के लिए यह डोज ठीक-ठाक है।
फिल्म का टोन कन्फ्यूज करता है — कहीं भावनाएं तो कहीं बेहूदा पंचलाइन। कुल मिलाकर, जो मजा ट्रेलर में लगा था, वह परदे पर नहीं आ पाया।

मृणाल ठाकुर की एंट्री

एक फ्रेश ब्रीज़’Son of Sardaar 2′ में मृणाल ठाकुर की एंट्री जैसे बासी माहौल में एक ताज़ी हवा का झोंका लगती है। उनके किरदार में भले ही कुछ खास गहराई नहीं हो, लेकिन उनकी स्क्रीन प्रेज़ेंस और नैचुरल अदाकारी दर्शकों को बांधे रखती है।

जहां बाकी किरदार ड्रामेबाज़ी में उलझे हैं, वहीं मृणाल अपने सधे हुए अभिनय से एक बैलेंस लाने की कोशिश करती हैं। उनकी बॉन्डिंग अजय देवगन के साथ एक फ्रेश पेयरिंग के रूप में सामने आती है — कुछ सीन तो वाकई दिलचस्प हैं।
हालांकि स्क्रिप्ट उन्हें बहुत कुछ करने का मौका नहीं देती, लेकिन उन्होंने जितना भी स्क्रीन टाइम पाया, उसे अपने पक्ष में मोड़ लिया। उनके ग्लैमरस लेकिन संवेदनशील अवतार ने फिल्म में थोड़ी जान ज़रूर डाली।

जनता को क्या लगा खास, क्या नहीं?

सोशल मीडिया रिएक्शन्स को देखा जाए तो ‘Son of Sardaar 2’ को लेकर दर्शकों की राय मिली-जुली है। फैंस को अजय देवगन की स्टाइलिश एंट्री, पंचलाइन और एक्शन मूव्स पसंद आए, लेकिन लॉजिक की कमी और ओवरडोज़ कॉमेडी ने मूड खराब किया।
कई दर्शकों ने फिल्म को “दिमाग हिला देने वाली कॉमेडी” बताया, तो कुछ ने कहा — “हँसाने की जबरदस्ती ज़्यादा हो गई।”
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और म्यूज़िक को सराहा गया, लेकिन स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले पर लोगों ने सवाल उठाए। एक यूज़र ने लिखा — “म्यूज़िक तो ठीक था लेकिन पंजाबी-बिहारी कॉम्बिनेशन हज़म नहीं हुआ।

म्यूज़िक — कुछ नया, कुछ पुरानाफिल्म का म्यूज़िक थोड़ा राहत देता है। कुछ गाने पार्टी एंथम बन सकते हैं, तो कुछ फोक स्टाइल में हैं जो पुरानी पंजाबी फिल्मों की याद दिलाते हैं। मृणाल और अजय पर फिल्माया गया रोमांटिक नंबर कुछ समय के लिए स्क्रीन पर ठहराव देता है।

हालांकि कोई भी गाना ऐसा नहीं जो सिनेमाघरों से निकलते ही आपके प्लेलिस्ट में शामिल हो जाए। लेकिन साउंडट्रैक फिल्म की टोन के साथ मेल खाता है और कुछ सीन्स में इमोशनल कनेक्ट बनाने में मदद करता है।

आख़िर में… देखना है या नहीं?अगर आप अजय देवगन के डाई-हार्ड फैन हैं या बिना लॉजिक की मस्ती भरी कॉमेडी आपकी पसंद है, तो एक बार देख सकते हैं। लेकिन फिल्म में जो वादा किया गया था, वह परदे पर अधूरा लगता है।
तो घर से निकलने से पहले — ‘अपना दिमाग घर छोड़कर आइए’ और बस एंटरटेनमेंट के लिए एंटरटेनमेंट का मजा लीजिए।

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