Bombay HC On Maratha Quota Stir: जरांगे का आंदोलन शर्तों के खिलाफ, बॉम्बे हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

Bombay HC On Maratha Quota Stir

Bombay HC On Maratha Quota Stir: मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत की पीठ ने कहा कि मनोज जरांगे के नेतृत्व वाला विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण नहीं है और इसमें सभी शर्तों का उल्लंघन किया गया है।

क्या हैं मनोज जरांगे की मांगें?

अनशन पर बैठे मनोज जरांगे की मुख्य मांग है कि मराठा समुदाय को 10% आरक्षण दिया जाए। उनका कहना है कि मराठाओं को कुनबी जाति के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए, क्योंकि कुनबी ओबीसी श्रेणी में आते हैं।

इससे मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।

जरांगे की अन्य मांगों में शामिल हैं-

  • मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठाओं को कुनबी घोषित किया जाए।

  • हैदराबाद और सातारा के गजट नोटिफिकेशन को कानून का रूप दिया जाए।

हालांकि, इन मांगों का ओबीसी नेताओं द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है।

सीएम फडणवीस पर टिप्पणी और मंत्री का पलटवार

मनोज जरांगे ने हाल ही में महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस की आलोचना की थी।

इस पर सरकार में मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने पलटवार करते हुए कहा कि फडणवीस कभी अड़ियल नहीं रहे हैं और अगर जरूरत पड़ी तो वे सीधे हस्तक्षेप करेंगे।

पाटिल ने कहा कि आमतौर पर लोग मुख्यमंत्री से मिलने जाते हैं, लेकिन यदि इस मामले में समाधान की संभावना बनती है तो सीएम खुद भी जरांगे से मिलने जा सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि फडणवीस सच को भी कड़वे शब्दों में नहीं कहते, जबकि अजीत पवार अपनी स्पष्टवादिता के लिए जाने जाते हैं।

आंदोलनकारी की मौत

आंदोलन के दौरान लातूर के विजय घोगरे की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया।

इसके अलावा कई अन्य प्रदर्शनकारियों की तबीयत भी बिगड़ी, जिनका इलाज अस्पतालों में किया गया।

आरक्षण की पृष्ठभूमि

मराठा समुदाय पारंपरिक रूप से कृषक और योद्धा समुदाय है, लेकिन आर्थिक और सामाजिक बदलावों के कारण कई सदस्य खुद को पिछड़ा महसूस करते हैं।

उनका कहना है कि उन्हें OBC/SEBC कोटे में 10% से 16% तक आरक्षण मिलना चाहिए।

आंदोलन का इतिहास

  • 1980 के दशक से मांग शुरू।

  • 2014: कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने 16% आरक्षण का कानून पारित किया, बॉम्बे हाई कोर्ट ने रद्द किया।

  • 2018: बीजेपी सरकार ने SEBC अधिनियम के तहत 16% आरक्षण दिया, हाई कोर्ट ने 12-13% तक सीमित किया।

  • 2021: सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द किया।

  • 2024: शिंदे-फडणवीस सरकार ने 10% SEBC आरक्षण पारित किया।

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