Chandra Grahan 2025: साल 2025 का दूसरा पूर्ण चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार 7 सितंबर की रात 9:57 बजे से शुरू होगा और 8 सितंबर की सुबह 1:26 बजे तक चलेगा। इस दौरान पूर्ण ग्रहण रात 11:42 बजे से 12:47 बजे तक रहेगा, जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में होगा। उस समय चांद लाल रंग का हो जाएगा और यह अद्भुत दृश्य करीब 65 मिनट तक दिखाई देगा।
किन 15 शहरों में सबसे स्पष्ट दिखेगा ग्रहण?
भारत में यह चंद्र ग्रहण सभी जगह देखा जा सकेगा, लेकिन साफ मौसम होने पर ये 15 शहरों में सबसे ज्यादा स्पष्ट रूप से दिखाई देगा —
शहर | दृश्यता |
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दिल्ली | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
मुंबई | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
कोलकाता | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
चेन्नई | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
बेंगलुरु | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
हैदराबाद | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
पुणे | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
लखनऊ | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
जयपुर | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
चंडीगढ़ | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
अहमदाबाद | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
गुवाहाटी | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
पटना | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
भोपाल | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
भुवनेश्वर | स्पष्ट (मौसम साफ रहने पर) |
पूर्वी और पश्चिमी भारत में नजारा
पूर्वी भारत जैसे कोलकाता और गुवाहाटी में चंद्रोदय जल्दी होने के कारण ग्रहण की शुरुआत अधिक स्पष्ट दिखेगी।
वहीं, पश्चिमी भारत के मुंबई और अहमदाबाद जैसे शहरों में ग्रहण पूरा दिखाई देगा, लेकिन चंद्रोदय देर से होने की वजह से शुरुआत का दृश्य थोड़ा अलग हो सकता है।
सूतक काल कब रहेगा?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक काल लगता है।
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सूतक काल की शुरुआत: 7 सितंबर दोपहर 12:57 बजे
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सूतक काल की समाप्ति: 8 सितंबर सुबह 1:26 बजे
इस दौरान कई प्रमुख मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे और ग्रहण समाप्ति के बाद शुद्धिकरण अनुष्ठान के साथ खुलेंगे।
किन मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे?
सूतक काल के दौरान देश के कई बड़े मंदिर बंद रहेंगे —
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तिरुपति बालाजी मंदिर (आंध्र प्रदेश)
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जगन्नाथ मंदिर (पुरी, ओडिशा)
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काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
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कामाख्या मंदिर (गुवाहाटी, असम)
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सिद्धिविनायक मंदिर (मुंबई, महाराष्ट्र)
इन मंदिरों में दर्शन ग्रहण खत्म होने के बाद ही संभव होगा।
सूतक काल में खुले रहेंगे ये मंदिर
कुछ मंदिरों पर ग्रहण का असर नहीं माना जाता, इसलिए सूतक काल में भी इनके कपाट बंद नहीं होते। इनमें शामिल हैं —
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विष्णुपद मंदिर (गया, बिहार)
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लक्ष्मीनाथ मंदिर (बीकानेर, राजस्थान)
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महाकाल मंदिर (उज्जैन, मध्य प्रदेश)
यहां भक्त बिना किसी बाधा के सूतक काल और ग्रहण के दौरान भी दर्शन कर सकते हैं।