CM in Indore: देवी अहिल्याबाई की याद में देश भर में आयोजन करेगी मध्यप्रदेश सरकार, इंदौर में बोले सीएम मोहन यादव

इंदौर। शिवभक्त देवी अहिल्याबाई होलकर की 229वीं पुण्यतिथि पर रविवार को इंदौर में उनकी पालकी निकली। जहां जगह-जगह मंच लगाकर पालकी का स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री मोहन यादव भी पालकी यात्रा में शामिल हुए।(CM in Indore)

होलकर राजाओं की वेशभूषा में नजर आए युवक

कार्यक्रम में होलकर राजाओं की वेशभूषा में युवक घोड़े पर सवार नजर आए। इसके अलावा अहिल्या सेना की युवतियां भी लुगड़ा पहन कर घोड़े पर सवार थीं। पालकी के आगे बोहरा समाज का बैंड मधुर ध्वनि बजा रहा था। इसके अलावा अखाड़ों के पहलवान भी करतब दिखा रहे थे। पालकी एमजी रोड से कृष्णपुरा ब्रिज, फ्रूट मार्केट होते हुए राजवाड़ा गई।(CM in Indore)

देशभर में कार्यक्रम आयोजित करेगी सरकार

गांधी हॉल में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि पूर्व होलकर राजवंश की शासक देवी अहिल्याबाई के जीवन के प्रेरणादायी पक्षों को सबके सामने लाने के लिए राज्य सरकार देशभर में कार्यक्रम आयोजित करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा, हम इन कार्यक्रमों के जरिए देवी अहिल्याबाई के जीवन के विविध पक्षों को सबके बीच ले जाएंगे ताकि सबको उनसे प्रेरणा मिल सके।(CM in Indore)

देवी अहिल्याबाई उत्सव समिति के सदस्यों के नामों को सहमति

सीएम ने कहा कि, उन्होंने राज्य सरकार की देवी अहिल्याबाई उत्सव समिति के सदस्यों के नामों को रविवार को ही मंजूरी दी है और सोमवार को इनकी विधिवत घोषणा की जाएगी। साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि प्रदेश सरकार देवी अहिल्याबाई की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अशासकीय क्षेत्र में चल रहे प्रकल्पों में भी हरसंभव सहयोग करेगी।(CM in Indore)

मालवा अंचल का बढ़ाया मान

उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई ने देशभर के हिंदू तीर्थस्थलों में धार्मिक और परमार्थिक काम करके पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा अंचल का मान-सम्मान बढ़ाया और मुगल शासकों को चुनौती देते हुए सनातन धर्म की पताका फहराई। देवी अहिल्याबाई के जीवन में निजी कष्टों और चुनौतियों का अम्बार था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इंदौर के तत्कालीन होलकर राजवंश की शासक के तौर पर सुशासन और सुप्रबंधन की नजीर पेश की।(CM in Indore)

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सामाजिक भेदभाव मिटाने की दिशा में भी किया काम

मुख्यमंत्री ने कहा कि देवी अहिल्याबाई ने सामाजिक भेदभाव मिटाने और नारी सशक्तिकरण की दिशा में भी काम किया और उन्होंने अपनी सेना में पहली बार महिलाओं का दस्ता बनाया था।

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