Doctor Suicide Cases In Bhopal: भोपाल में आए दिन सुसाइड कर रहे डॉक्टर! जान बचाने वाले क्यो चुन रहे मौत का रास्ता?

Doctor Suicide Cases In Bhopal: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और अन्य शहरों से हाल ही में डॉक्टरों द्वारा आत्महत्या करने के कई मामले सामने आए हैं।

इन घटनाओं ने न केवल चिकित्सा जगत को झकझोर दिया है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक दबाव और प्रोफेशनल स्ट्रेस पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

होटल में डॉक्टर का सुसाइड प्रयास

भोपाल के टीटी नगर स्थित होटल क्राउन पैलेस में बालाघाट के गायनोकॉलोजिस्ट डॉक्टर सहन कुमार (36) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

वह मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले थे। हाल ही में उनका तलाक हुआ था।

पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, लेकिन जांच में यह सामने आया कि डॉक्टर अपने मोबाइल फोन पर बातचीत करने के बाद बाथरूम में फंदे से लटक गए।

घर में लटकी मिली महिला डॉक्टर

कुछ समय पहले 27 वर्षीय डॉक्टर शिवांगी यादव ने भी भोपाल के तुलसी नगर स्थित घर में आत्महत्या कर ली थी।

शिवांगी एक प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस कर रही थीं। परिजनों ने उन्हें रात में फंदे से लटका हुआ पाया।

उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मामले की जांच अब भी जारी है।

कॉलेज हॉस्टल में सुसाइड

भोपाल में ही डॉ. रेखा रघुवंशी, जो न्यूरोलॉजी में डीएम की पढ़ाई कर रही थीं, छात्रावास के अपने कमरे में फांसी पर लटकी मिलीं।

यह मामला भी पुलिस जांच के दायरे में है और आत्महत्या के कारण स्पष्ट नहीं हो पाए हैं।

संदिग्ध मौत- आत्महत्या या हत्या?

चार महीने पहले शादी करने वाली एक अन्य महिला डॉक्टर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।

उसके हाथ में इंजेक्शन का निशान मिला, जिससे शक जताया जा रहा है कि मौत जहर के इंजेक्शन से हुई। पुलिस हत्या और आत्महत्या दोनों बिंदुओं पर जांच कर रही है।

लगातार क्यों बढ़ रहे हैं सुसाइड के मामले?

इन घटनाओं से यह सवाल उठता है कि आखिरकार डॉक्टर जैसे पेशे में, जो समाज में सबसे सम्मानित और जिम्मेदार माना जाता है, आत्महत्या के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?

संभावित कारण:

  • मानसिक तनाव और काम का दबाव- लगातार मरीजों की जिम्मेदारी और ड्यूटी का बोझ।

  • पारिवारिक कारण- रिश्तों में तनाव, हाल ही में हुए तलाक या वैवाहिक समस्याएँ।

  • प्रोफेशनल चुनौतियां- नौकरी की अनिश्चितता, प्राइवेट हॉस्पिटल्स का दबाव।

  • मेंटल हेल्थ की अनदेखी- डॉक्टर अक्सर दूसरों के स्वास्थ्य की देखभाल में इतने व्यस्त रहते हैं कि अपनी मानसिक स्थिति को नजरअंदाज कर देते हैं।

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