छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन के बिगड़ते हालातो को देखकर अब प्रदेश में कांग्रेस उदयपुर फार्मूला लाने के प्रयास में है….कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ बैठक के बाद भी संगठन में नियुक्तियों को लेकर खूब चर्चा बनी…पर उसके बाद भी कोई फैसला अब तक नहीं आया…..लंबे समय के बाद कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की बात कर रही है तो वहीं भाजपा कांग्रेस पर तंज कस रही है……आखिर क्या है कांग्रेस का उदयपुर फार्मूला और क्यों हो रही इसपर सियासत आइए जानते हैं…दरअसल विधानसभा,लोकसभा,नगरी निकाय चुनाव की हार के बाद, कांग्रेस के गुजरात अधिवेशन में कई अहम फैसले लिए गए पर कुछ खास असर नहीं दिखा…जिसके बाद अब छत्तीसगढ़ प्रदेश में उदयपुर फार्मूला लागू करने की कवायद कांग्रेस कर रही है.. जिसमें बूथ से लेकर ब्लॉक और जिला मंडल स्तर तक नियुक्तियां की जानी है और कांग्रेस संगठन को मजबूत करना है जिसमें नए युवाओं को जोड़ने का प्रयास होगा माइनॉरिटी,एसटीएससी और महिलाओं को नियुक्तियां दी जाएगी एक पद और एक नेता पर कांग्रेस फोकस्ड रहेगी…..क्या है ये उदयपुर फार्मूला इसे समझते हैं
* एक नेता एक पद पर होगी कांग्रेस की रणनीति
* बूथ,ब्लॉक, जिला स्तर पर कांग्रेस नियुक्तियां करेगी
* 50 साल से कम उम्र के युवाओं को संगठन में मौका देगी कांग्रेस
* ST,SC माइनॉरिटी और महिलाओं को कांग्रेस प्राथमिकता देगी
* जिलों में संगठन की कमजोर कड़ी को मजबूत करने का काम किया जाएगा
कांग्रेस के उदयपुर फार्मूले को लेकर प्रदेश की राजनीति में सियासी उबाल भी देखने को मिल रहा है पीसीसी चीफ दीपक बैज का कहना है कि यह फार्मूला प्रदेश के संगठन में जान डालेगा और कांग्रेस की कमजोरी कड़ी को मजबूत बनाएगा…. वहीं कांग्रेस के फार्मूला पर बीजेपी ने तंज कसते हुए कहा फार्मूला लागू करने के लिए पहले संगठन के होने की जरूरत है कांग्रेस में अलग-अलग गुट चल रहे हैं भूपेश बघेल का अलग गुट है टि एस सिंह देव का अलग और नेता प्रतिपक्ष का अलग गुट है…इन सबके बीच दिलचस्प बात ये है की तमाम गुटबाजियों और नेताओं के दबाव को दरकिनार करते हुए कांग्रेस पार्टी किस तरीके से प्रदेश में उदयपुर फार्मूला लागू करती है और कितने नेताओं को इसमें जगह देती है इसके साथ संगठन की कमजोर कड़ियों को कब कांग्रेस मजबूत कर पाती है…या फिर ब्लॉक,बूथ,मंडल से लेकर प्रदेश स्तर तक केवल गुटबाजी ही नजर आती है…
रायपुर से संवाददाता करिश्मा सोनी की रिपोर्ट