”मछली” का रिश्तेदार कर रहा पुलिस का शिकार

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदश्य प्रियंक कानूनगो के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस की नाकामी को उजागर कर दिया है, आखिर क्लब-90 के आरोपियों और भोपाल पुलिस के बीच ‘ये रिस्ता क्या कहलाता है’ कानूनगो के आरोपों पर ध्यान दे तो उन्होंने कहा है, ‘ पुलिस ने ड्रग्स के साथ जिस यास्मीन मछली और शावर को गिरफ्तार किया है, उन दोनों के फ़ोन से 20 से अधिक लड़कियों के पोर्न वीडियो मिले हैं। कानूनगो का एक और बड़ा आरोप है, जिसकी उन्होंने तस्वीरें भी जारी की है, जिसमे दिखाई दे रहा है, यास्मीन मछली का चाचा सोहेल भोपाल पुलिस के कई अफसरान को केक खिलाता या खाता दिख रहा है, ऐसे में कानूनगो ने शंका जाहिर की है, इस मामले की निष्पक्ष जांच कैसे होगी, क्लब 90 के आरोपियों को लेकर भी, पुलिस की कार्यवाही पर सवाल खड़े हो चुकें है !

विस्तार से जानिए क्या है पूरा मामला

मध्य प्रदेश की शांत “झीलों की नगरी” भोपाल में एक भयावह आपराधिक नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है, जो मासूम युवतियों को निशाना बनाकर उनके जीवन को नर्क में तब्दील कर रहा है। यह जटिल अपराध का जाल, जिसमें छल, नशा, और अमानवीयता का ताना-बाना बुना गया है, ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है और देशभर में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। इस घृणित साजिश का केंद्र है हिंदू स्कूल और कॉलेज की छात्राओं को निशाना बनाना, उन्हें नशे की लत में फंसाना, यौन शोषण करना, ब्लैकमेलिंग के जरिए दबाव बनाना, और फिर धर्मांतरण के लिए मजबूर करना। पुलिस की मिलीभगत के आरोपों ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है, जिसके चलते निष्पक्ष जांच की मांग तेज हो गई है।

 अपराध का तरीका: प्रलोभन और नशे का जाल

यह आपराधिक गिरोह बेहद सुनियोजित ढंग से काम करता है। स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाली हिंदू लड़कियों को चमक-दमक भरी पार्टियों और सामाजिक आयोजनों का लालच देकर फंसाया जाता है। ये आयोजन मासूमियत की आड़ में एक भयानक साजिश का हिस्सा हैं। यास्मीन मछली और शावर जैसे लोग इन लड़कियों का भरोसा जीतकर उन्हें नशीले पदार्थ, खासकर एमडीएमए (जिसे आमतौर पर एक्सटसी के नाम से जाना जाता है), की लत लगाते हैं।

नशे के प्रभाव में आने के बाद इन लड़कियों का यौन शोषण किया जाता है और उनकी पीड़ा को वीडियो में रिकॉर्ड कर लिया जाता है। इन वीडियो का इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के लिए किया जाता है, जिसके जरिए पीड़िताओं को बार-बार यौन शोषण का शिकार बनाया जाता है। जांच में सामने आया है कि इस नेटवर्क का अंतिम मकसद इन युवतियों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर कर आजीवन “सेक्स स्लेव” के रूप में गुलामी की जिंदगी जीने पर विवश करना है।

पुलिस की नाकामी और संरक्षकों का खेल

जांच में यह साफ हुआ है कि पुलिस की कार्रवाई नाकाफी रही है। हमारी जांच में दर्ज किया गया है कि जांच की दिशा अपराधियों के संरक्षकों की ओर होनी चाहिए थी, जो इस नेटवर्क को संचालित करने में मदद कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सख्ती के बाद हाल ही में यास्मीन मछली और शावर को ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया गया। उनके फोन में कथित तौर पर 20 से अधिक लड़कियों के अश्लील वीडियो मिले हैं, जो इस अपराध की भयावहता को दर्शाता है।

सूत्रों से मिली जानकारी और फोटो प्रमाणों के आधार पर पता चला है कि यास्मीन का चाचा सोहेल कई पुलिस अधिकारियों का करीबी दोस्त है। इन अधिकारियों की मौजूदगी में भोपाल में निष्पक्ष जांच संभव नहीं लगती। इसीलिए, इस मामले में आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।

सिस्टम का भ्रष्टाचार और संरक्षण

यह मामला केवल कुछ अपराधियों तक सीमित नहीं है; यह एक गहरे सांठगांठ वाले तंत्र को उजागर करता है। सोहेल जैसे लोग, जो पुलिस अधिकारियों के साथ कथित तौर पर रिश्ते रखते हैं, इस नेटवर्क को संरक्षण दे रहे हैं। यह सवाल उठता है कि क्या भोपाल में निष्पक्ष जांच संभव है, जब सिस्टम के कुछ हिस्से ही अपराधियों के साथ मिले हुए हैं? जांच की दिशा को अपराधियों के संरक्षकों तक ले जाने की जरूरत है ताकि इस घृणित नेटवर्क का पूरी तरह से खात्मा हो सके।

जनता का आक्रोश और न्याय की मांग

इस मामले ने भोपाल की जनता में भारी आक्रोश पैदा किया है। लोग सड़कों पर उतर रहे हैं, सोशल मीडिया पर #JusticeForBhopalGirls ट्रेंड कर रहा है। माता-पिता अपनी बेटियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, और समाज इस बात पर सवाल उठा रहा है कि आखिर ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद उम्मीद जगी है कि इस मामले में सख्त कार्रवाई होगी, लेकिन जनता की मांग है कि जांच को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए।

आगे की राह: जांच और सजा

इस मामले में अब तक की कार्रवाई केवल शुरुआत है। यास्मीन और शावर की गिरफ्तारी के बाद उनके फोन से मिले वीडियो ने इस नेटवर्क की गहराई को उजागर किया है। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या इस जाल का मास्टरमाइंड और उनके संरक्षक सलाखों के पीछे होंगे? निष्पक्ष जांच के लिए यह जरूरी है कि भोपाल से बाहर की एक स्वतंत्र एजेंसी इस मामले को संभाले। साथ ही, पीड़ित लड़कियों को न्याय, सुरक्षा, और पुनर्वास की सुविधा दी जाए ताकि वे इस दर्दनाक अनुभव से उबर सकें।

 निष्कर्ष: एक शहर की चीख

भोपाल का यह आपराधिक ताना-बाना केवल एक शहर की कहानी नहीं है; यह हमारे समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, शक्ति के दुरुपयोग, और लैंगिक हिंसा का प्रतीक है। यह एक चेतावनी है कि अगर हमने समय रहते इस तरह के नेटवर्क को नहीं तोड़ा, तो हमारी बेटियां कभी सुरक्षित नहीं होंगी। मुख्यमंत्री की सख्ती और जनता का दबाव इस मामले में बदलाव की उम्मीद जगाता है, लेकिन असली जीत तभी होगी जब हर अपराधी को सजा मिले और हर पीड़िता को न्याय।

#JusticeForBhopalGirls

 

शहर चुने