Indore MY Hospital Rat Case: 31 साल बाद फिर दोहराई गई त्रासदी, नवजातों की मौत से मचा हंगामा..!

इंदौर । मध्य प्रदेश के सबसे बड़े एमवाय अस्पताल (Maharaja Yashwantrao Hospital) में चूहों का आतंक एक बार फिर सुर्खियों में है। दो नवजात बच्चियों के अंग चूहों द्वारा कुतरे जाने और उनकी मौत के बाद प्रदेशभर में हंगामा मच गया है। इस घटना ने एक बार फिर 1994 के उस ऐतिहासिक ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ की याद ताजा कर दी, जब पूरे अस्पताल को चूहों से मुक्त करने के लिए 16 दिन तक लगातार अभियान चला था।

1994 का ‘ऑपरेशन कायाकल्प’

⦁ जब 1994 में गुजरात के सूरत में प्लेग फैला था, तब इंदौर में भी संक्रमण फैलने का डर था। तत्कालीन कलेक्टर सुधि रंजन मोहंती ने एमवाय अस्पताल को चूहों से मुक्त कराने का बड़ा फैसला लिया।
⦁ अस्पताल के रोगियों को निजी अस्पतालों में शिफ्ट किया गया।
⦁ 16 दिन तक लगातार अभियान चला और 12 हजार चूहों को मारा गया।
⦁ मरे चूहों को फार्मेलिन में ड्रमों में भरकर पंचकुइया मुक्तिधाम में जलाया गया।
⦁ पूरा ऑपरेशन 35 दिन चला और इसमें शासन का एक पैसा खर्च नहीं हुआ—सारा काम जनसहयोग से हुआ था।
⦁ बाद में 2014 में भी एक छोटा अभियान चला, जिसमें 5 हजार से ज्यादा चूहे मारे गए थे।

2025: चूहाकांड और नवजातों की मौत

अब 31 साल बाद फिर से चूहों ने भयावह रूप दिखाया है।

⦁ दो नवजात बच्चियों को चूहों ने काटा, जिसमें एक की तीन उंगलियां और दूसरी बच्ची का सिर व कंधा चूहों ने कुतर दिया।
⦁ दोनों नवजातों की मौत हो गई।
⦁ हैरानी की बात है कि जनवरी 2025 से अब तक 20 लाख रुपये खर्च कर सिर्फ 150 चूहे ही भगाए गए।
⦁ पेस्ट कंट्रोल का जिम्मा संभालने वाली एजाइल कंपनी पर सिर्फ 1 लाख का जुर्माना लगाकर मामला दबाने की कोशिश हुई।

आरोप और सफाई

अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मौत चूहों के काटने से नहीं बल्कि जन्मजात जटिलताओं से हुई। वहीं, कांग्रेस नेताओं ने इसे सीधी हत्या बताया।

राहुल गांधी ने कहा – “यह हादसा नहीं, हत्या है”

कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने कहा कि यह हादसा नहीं, सीधे-सीधे हत्या है। हेल्थ सेक्टर को जानबूझ कर निजी हाथों में सौंपा गया। सरकारी अस्पताल गरीबों की मौत के अड्डे बन चुके हैं।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा – “लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेंगे”    

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि हम लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेंगे। जो भी जिम्मेदार है, उसके खिलाफ एक्शन लिया गया है। विभाग के पीएस को मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।

क्यों लौटता है ‘चूहाकांड’?

⦁ अस्पताल में वर्षों से कचरा, पुराने गद्दे, उपकरण और बायोमेडिकल वेस्ट जमा रहता है।
⦁ मरीजों के परिजन वार्ड में खाना लेकर आते हैं, जिससे चूहे आसानी से अंदर पहुंचते हैं।
⦁ नियमित और प्रभावी पेस्ट कंट्रोल की कमी के कारण समस्या बार-बार लौट आती है।

निष्कर्ष:
1994 में जिस ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ ने एमवाय को चूहों से मुक्त किया था, वैसा कड़ा कदम अब दोबारा उठाना जरूरी है। वरना “प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल” में चूहों का आतंक गरीब मरीजों की जान लेता रहेगा।

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