Kamal Nath vs Digvijaya Singh: दिग्गी के बयान से नया बवाल! कांग्रेस में फिर उठे पुराने सवाल

Kamal Nath vs Digvijaya Singh

Kamal Nath vs Digvijaya Singh: 2018, ये वो साल था जब लंबे अर्से के बाद मध्य प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को सत्ता का ताज पहनाया था। ये करिश्मा दरअसल उस वक्त कांग्रेस के दिग्गजों का एकजुटता से हुआ था और जनता ने भी कांग्रेस को लंबे अर्से बाद सत्ता की चाबी सौंप दी थी। 

ये कहना गलत नहीं होगा कि कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया की तिकड़ी ने मोर्चा संभालते हुए कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार किया और बीजेपी को पटखनी देने में उनकी युक्ति काम कर गई। 

लेकिन ये भी उतना सच है कि दिग्विजय के शासन काल को याद करने वाले कांग्रेस को वोट देने का मन इसलिए बना पाए कि इस दफा उनके सामने ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे करिश्माई चेहरा था और कमलनाथ सरीखा अनुभवी नेता। 

बहरहाल कांग्रेस ने 2018 में सफलता का स्वाद चखा, लेकिन मेहनत का फल मीठा तो था लेकिन, हजम नहीं हुआ और 2020 में कांग्रेस के हाथ से फिसलकर सत्ता बीजेपी के हाथ में चली गई और जिस तरह कांग्रेस की जीत का कारण बने थे ज्योतिरादित्य सिंधिया और उसी तरह सत्ता जाने की वजह भी उनका कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लेना बना। 

बहरहाल बात पुरानी हो जरूर गई है लेकिन कांग्रेस को मिले जख्म आज भी हरे हैं दिग्विजय सिंह का हालिया बयान इसकी तस्दीक करता है। मध्य प्रदेश की सियासत में दिग्विजय सिंह के बयान ने फिर हलचल मचा दी है

दिग्गी सिंह के बयान से मचा बवाल  

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने हाल ही में एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में कहा कि 2020 में मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार गिरने की मुख्य वजह कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच काम करने के तरीके को लेकर हुए मतभेद थे। उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं के बीच जो समझौता हुआ था, उसका पालन नहीं हुआ और इसी कारण सरकार गिर गई।

इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस सरकार गिरने की आशंका पहले से जताई जा रही थी, लेकिन यह प्रचारित किया गया कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने पहले ही चेताया था कि यह घटना हो सकती है।

दिग्विजय ने बताया कि उन्होंने एक उद्योगपति के घर पर बैठक में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच मतभेद सुलझाने की कोशिश की थी और इसके लिए एक विशलिस्ट भी तैयार की गई थी, लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ, जिससे तनाव बढ़ा और अंततः सरकार गिर गई। हालांकि उन्होंने उस उद्योगपति का नाम उजागर नहीं किया

कमलनाथ का पलटवार 

दिगविजय सिंह के इस बयान पर कमलनाथ ने पलटवार करते हुए एक्स पर लिखा 2020 में उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने को लेकर हाल ही में बयानबाजी हुई है, लेकिन पुरानी बातें उखाड़ने से कोई फायदा नहीं। 

उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं और इसी नाराज़गी में उन्होंने कांग्रेस विधायकों को तोड़कर सरकार गिरा दी।

क्यों गिरी कमलनाथ सरकार? 

मध्य प्रदेश में 2020 में कांग्रेस की सरकार का गिरना एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम था। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की थी, लेकिन सिर्फ 15 महीने बाद ही कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई।

इसके पीछे कई कारण थे, जिनमें आंतरिक कलह, नेताओं के बीच मतभेद और ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत सबसे प्रमुख थे। इस लेख में हम इन कारणों को सरल भाषा में समझेंगे।

भीतरी मतभेद और नेतृत्व में टकराव

2018 में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में जीत हासिल की और कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन, पार्टी के भीतर शुरू से ही एकता की कमी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो एक प्रभावशाली नेता थे, और कमलनाथ के बीच तनाव की खबरें अक्सर सामने आती थीं। 

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने हाल ही में बताया कि कमलनाथ और सिंधिया के बीच व्यक्तिगत मतभेद इस संकट की जड़ थे। सिंधिया चाहते थे कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की कुछ मांगों को पूरा किया जाए, लेकिन कमलनाथ ने उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया।

ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत

सिंधिया और कमलनाथ के बीच बढ़ते मतभेद ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। दिग्विजय सिंह के अनुसार, एक उद्योगपति के घर पर हुई एक बैठक में सिंधिया की कुछ मांगों पर सहमति बनी थी। लेकिन बाद में कमलनाथ ने इन मांगों को पूरा करने से इनकार कर दिया। 

इससे नाराज होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2020 में कांग्रेस छोड़ दी और अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए। इन विधायकों के इस्तीफे के कारण कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई।

कमलनाथ का एकल नेतृत्व

कई राजनीतिक विश्लेषकों और सोशल मीडिया पोस्ट्स में यह भी कहा गया कि कमलनाथ का एकल नेतृत्व शैली भी सरकार के पतन का एक कारण थी। उन्होंने पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं और अन्य नेताओं की बातों को ज्यादा महत्व नहीं दिया।

इससे पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ता गया। कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं ने महसूस किया कि उनकी आवाज को अनसुना किया जा रहा है, जिसने पार्टी की एकजुटता को कमजोर किया।

बीजेपी ने खेला खेल!

कांग्रेस के भीतर चल रहे इस संकट का फायदा बीजेपी ने बखूबी उठाया। ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों को बीजेपी में शामिल करवाकर पार्टी ने कमलनाथ सरकार को अस्थिर कर दिया।

मार्च 2020 में, जब कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया, तब कमलनाथ सरकार के पास विधानसभा में बहुमत साबित करने का कोई रास्ता नहीं बचा। आखिरकार, 20 मार्च 2020 को कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नई सरकार बनाई।

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