मालेगांव ब्लास्ट केस: साध्वी प्रज्ञा समेत सभी 7 आरोपियों को बरी, उपमा सिंह ने कहा- ‘सत्य की जीत हुई, 17 सालों की हानि की भरपाई असंभव’

 

**मालेगांव ब्लास्ट केस: साध्वी प्रज्ञा समेत सभी 7 आरोपियों को बरी, उपमा सिंह ने कहा- ‘सत्य की जीत हुई, 17 सालों की हानि की भरपाई असंभव’**

 

**बिलासपुर, 31 जुलाई 2025**: 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में 17 साल बाद आए ऐतिहासिक फैसले ने न केवल साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और अन्य आरोपियों को राहत दी, बल्कि इसे हिंदुत्व और भगवा की जीत के रूप में भी देखा जा रहा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी को सभी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष कोई ठोस सबूत पेश करने में नाकाम रहा।[]

### साध्वी प्रज्ञा की बहन उपमा सिंह से खास बातचीत
फैसले के बाद बिलासपुर में साध्वी प्रज्ञा की बड़ी बहन उपमा सिंह ने एक विशेष बातचीत में अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा, **”सत्य की जीत हुई है। प्रज्ञा शुरू से कह रही थी कि उसने कोई अपराध नहीं किया। 17 सालों में जो हानि हुई, उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता। परिवार ने मानसिक प्रताड़ना झेली, लेकिन आज भगवा की जीत हुई, सनातन की जीत हुई।”** उपमा सिंह ने कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, **”यह फैसला उन लोगों के गाल पर तमाचा है, जिन्होंने भगवा को बदनाम करने की साजिश रची।

उपमा सिंह ने बताया कि साध्वी प्रज्ञा पर नार्को टेस्ट, लाइ डिटेक्टर टेस्ट सहित कई तरह के टेस्ट किए गए, लेकिन कुछ भी साबित नहीं हुआ। उन्होंने कहा, **”प्रज्ञा हर बार कहती थी कि सच एक दिन सामने आएगा। आज वह दिन आ गया। यह न केवल प्रज्ञा की जीत है, बल्कि सभी सनातनी और राष्ट्रवादी लोगों की जीत है।”** उपमा ने न्यायपालिका और ठाकुर जी को धन्यवाद देते हुए कहा कि समय कितना भी लगे, सत्य की हमेशा जीत होती है।[]
### साध्वी प्रज्ञा का भावुक बयान
अदालत में फैसला सुनाए जाने के दौरान साध्वी प्रज्ञा भावुक हो गईं और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। जज ए.के. लाहोटी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, **”मुझे बिना किसी आधार के जांच के लिए बुलाया गया, गिरफ्तार किया गया और 13 दिनों तक प्रताड़ित किया गया। मेरा पूरा जीवन बर्बाद हो गया। मैं एक साधु का जीवन जी रही थी, लेकिन मुझे आतंकवादी बना दिया गया। आज भगवा की जीत हुई है, हिंदुत्व की जीत हुई है।”** उन्होंने यह भी कहा कि जिन्होंने भगवा और भारत को बदनाम करने की कोशिश की, उन्हें ईश्वर सजा देगा।

### मालेगांव ब्लास्ट केस का विवरण
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में विस्फोटक उपकरण फटने से 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा को मुख्य आरोपी बनाया गया था, और दावा किया गया था कि विस्फोट में इस्तेमाल मोटरसाइकिल उनके नाम पर पंजीकृत थी। हालांकि, एनआईए कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि यह साबित नहीं हुआ कि मोटरसाइकिल प्रज्ञा की थी या उसमें बम रखा गया था।

अदालत ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष ने कोई विश्वसनीय सबूत पेश नहीं किया, और केवल संदेह के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये मुआवजा देने का आदेश भी दिया।

### उमा भारती और अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा, **”जब प्रज्ञा नासिक जेल में थीं, तब मैं उनसे मिलने गई थी। उन्हें जिस तरह प्रताड़ित किया गया, उसे कोई भी महिला सहन नहीं कर सकती।”** उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि भगवा आतंकवाद जैसे शब्द गढ़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।[

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी अपने आधिकारिक X अकाउंट पर लिखा, **”न हिन्दुः पतितो भवेत्। सत्यमेव जयते।”** अर्थात्, किसी भी हिंदू को गिरना नहीं चाहिए, सत्य की सदैव विजय होती है।[

### 17 साल का संघर्ष और भगवा आतंकवाद का नैरेटिव
इस मामले ने यूपीए सरकार के दौरान खासा सुर्खियां बटोरी थीं, खासकर “भगवा आतंकवाद” जैसे शब्द को लेकर। साध्वी प्रज्ञा और अन्य आरोपियों ने आरोप लगाया कि उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया। इस फैसले ने न केवल उनकी बेगुनाही साबित की, बल्कि भगवा आतंकवाद के नैरेटिव को भी खारिज कर दिया।
### निष्कर्ष
मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा और अन्य आरोपियों को बरी किए जाने का फैसला न केवल एक कानूनी जीत है, बल्कि यह सनातन धर्म और हिंदुत्व के लिए एक प्रतीकात्मक विजय भी माना जा रहा है। उपमा सिंह का कहना है कि यह फैसला उन लोगों के लिए सबक है जो सत्य को दबाने की कोशिश करते हैं। **”17 सालों की मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के बाद, आज सच सामने आया है। यह जीत हमारी संस्कृति और धर्म की जीत है।”**[

 

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