Maratha Reservation Protest: मुंबई के आजाद मैदान में मराठा समुदाय के कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में आंदोलन जारी है। मराठा समुदाय OBC कोटे में आरक्षण की मांग कर रहा है और राज्य भर से लाखों लोग इसमें शामिल हो चुके हैं। प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हटेंगे जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती।
आंदोलन की शुरुआत
मनोज जरांगे ने आंदोलन के तीसरे दिन अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की। उनका कहना है कि मराठा समुदाय को कुणबी घोषित किए बिना और OBC आरक्षण न मिलने तक वे आंदोलन जारी रखेंगे। जस्टिस संदीप शिंदे समिति से रिपोर्ट और प्रमाण पत्र की मांग भी वे कर रहे हैं।
आंदोलनकारी की मौत
आंदोलन के दौरान लातूर के विजय घोगरे की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया। इसके अलावा कई अन्य प्रदर्शनकारियों की तबीयत भी बिगड़ी, जिनका इलाज अस्पतालों में किया गया।
आरक्षण की पृष्ठभूमि
मराठा समुदाय पारंपरिक रूप से कृषक और योद्धा समुदाय है, लेकिन आर्थिक और सामाजिक बदलावों के कारण कई सदस्य खुद को पिछड़ा महसूस करते हैं। उनका कहना है कि उन्हें OBC/SEBC कोटे में 10% से 16% तक आरक्षण मिलना चाहिए।
मांग और विवाद
मराठाओं को कुणबी जाति के रूप में मान्यता देने की मांग है। इससे अन्य OBC समुदायों में विरोध पैदा हुआ है, क्योंकि उनका हिस्सा घट सकता है। आंदोलन का यह पक्ष जातिगत आरक्षण और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन के बीच टकराव को दर्शाता है।
आंदोलन का इतिहास
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1980 के दशक से मांग शुरू।
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2014: कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने 16% आरक्षण का कानून पारित किया, बॉम्बे हाई कोर्ट ने रद्द किया।
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2018: बीजेपी सरकार ने SEBC अधिनियम के तहत 16% आरक्षण दिया, हाई कोर्ट ने 12-13% तक सीमित किया।
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2021: सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द किया।
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2024: शिंदे-फडणवीस सरकार ने 10% SEBC आरक्षण पारित किया।
प्रदर्शन का स्वरूप
2016 से शांतिपूर्ण मूक मोर्चे निकले, लेकिन 2023-2025 में हिंसक प्रदर्शन हुए। मनोज जरांगे ने कई अनशन किए, जिसमें 2025 में मुंबई में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शामिल है।
सरकार का रुख
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10% SEBC आरक्षण पहले से संवैधानिक रूप से वैध है।
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कुणबी प्रमाणपत्र जारी किए गए (मराठवाड़ा में 2.39 लाख)।
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शिंदे समिति की रिपोर्ट जून 2026 तक विस्तारित।
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बातचीत जारी है, लेकिन जरांगे के साथ कोई समझौता नहीं हुआ।
विरोध और चुनौतियां
जरांगे का अनशन तीसरे दिन में है और वे मांग पूरी होने तक जारी रखने पर अड़े हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने आजाद मैदान पर बिना अनुमति प्रदर्शन पर रोक लगाई। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने वादा किया था लेकिन डेटा नहीं दिया, जिससे पुराना आरक्षण रद्द हुआ।
राजनीतिक असर
यह मुद्दा महाराष्ट्र की राजनीति और विधानसभा चुनावों को प्रभावित कर रहा है। OBC नेता इसका विरोध कर रहे हैं, जबकि मराठा समर्थक एकजुट हैं। यह आंदोलन जातिगत आरक्षण और आर्थिक पिछड़ापन के बीच टकराव को उजागर करता है।