भोपाल, मनोज राठौर। मध्य प्रदेश के शिक्षा जगत में नर्सिंग घोटाला सीबीआई के द्वारा जांच करने वाला दूसरा सबसे बड़ा घोटाला है। इसके पहले व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई ने शुरू हुई थी। इस जांच को सीबीआई ने प्रदेश की हाईकोर्ट के निर्देश पर शुरू की। शुरूआती जांच में बड़े-बड़े खुलासे हुए। अधिकांश नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द की। जिन कॉलेजों की जांच की जा रही है, उनमें कई बड़े नेताओं के कॉलेज भी है। घोटाले के इस खेल में कई रसूखदार भी शामिल है। हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर अक्टूबर 2022 में सीबीआई ने जांच शुरू की थी। सीबीआई की शुरूआती जांच के आधार पर हाईकोर्ट ने प्रदेश के कई नर्सिंग कॉलेजों में व्यापक अनियमितताओं का पता चलने के बाद गंभीर चिंता व्यक्त की थी। हैरत की बात है कि ये कॉलेज अनुमोदन होने के बावजूद 2018 नर्सिंग कॉलेज नियमों में निर्धारित अनिवार्य मानकों को पूरा करने में विफल रहे।
प्रारंभिक जांच के बाद उच्च न्यायालय ने सीबीआई को राज्य के सभी 364 नर्सिंग कॉलेजों की व्यापक जांच करने का निर्देश दिए। इस मामले में बीजेपी संगठन के मंत्री रजनीश अग्रवाल का दावा है कि सीबीआई के किसी अधिकारी ने गड़बड़ी की है, तो उसे पकड़ा भी गया। ऐसे में सीबीआई पर संदेह नहीं करना चाहिए। इस मामले का परिणाम जनता और कानून के हित में ही आयेगा।
एमपी में 800 नर्सिंग कॉलेज
-CBI कर रही 375 कॉलेजों की जांच
-139 कॉलेज में भ्रष्टाचार के मिले सबूत
-जांच में 50% कॉलेज अनफिट पाए गए
-अब तक 70 से ज्यादा कॉलेजों की मान्यता रद्द
ऐसे हुआ महाघोटाला
-भ्रष्टाचार में माइग्रेशन का खेल
-नंबर में फेरबदल किया घोटाला
-1000 से ज्यादा डुप्लीकेट माइग्रेशन
-डुप्लीकेट नंबर से फैकल्टी का फर्जीवाड़ा
सीबीआई को जांच में पता चला कि कॉलेज संचालकों ने एक ही व्यक्ति के माइग्रेशन नंबर जनरेट करने के लिए उसकी जन्म तारीख को बदल दिया। किसी के मार्कशीट में दर्ज पास होने की साल का नंबर बदल दिया तो कई के नाम और सरनेम को बदलकर उसका माइग्रेशन नंबर जनरेट कर दिया गया। अलग-अलग कॉलेज में एक ही व्यक्ति को अलग-अलग पद पर काम करना दिखाया गया है। प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजो में कुल बाहरी राज्यों की 4500 माइग्रेशन नंबर से रजिस्टर्ड हैं। इसमें से 1000 से ज्यादा डुप्लीकेट हैं। सीबीआई ने भी 150 से ज्यादा फैकल्टी के डुप्लीकेट नंबरों के दस्तावेज हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच के समक्ष पेश किए। इसके अलावा
इन्वेस्टिगेशन में ये भी बात सामने आई कि प्रदेश के 800 नर्सिंग कॉलेजों की 14,000 में से 3,000 फैकल्टी ऐसी है जो बाहरी राज्यों की है। ये फैकल्टी प्रदेश के कॉलेजों में सिर्फ ऑन पेपर रजिस्टर्ड है। नर्सिंग काउंसिल ने इनका माइग्रेशन और रजिस्ट्रेशन किया है। इनमें से एक हजार फैकल्टी ऐसी है, जिनके माइग्रेशन या रजिस्ट्रेशन नंबर को कई तरीकों से बदलकर एक से ज्यादा बार इस्तेमाल किया गया है।
ऐसे हुए घोटाले का खुलासा?
-कोरोना के समय हुआ घोटाले का खुलासा
-बिस्तर कम पढ़ने पर कॉलेजों ने काटी चांदी
-कमेटी की जांच में फर्जीवाड़े का हुआ खुलासा
-कोर्ट के जरिए मामला सीबीआई के पास पहुंचा
-सीबीआई की जांच में घोटाले की परते खुली
कोरोना काल के दौरान जब मरीजों की संख्या बढ़ने लगी, तो अस्पतालों में बिस्तर कम पढ़ने लगे। इस दौरान मरीजों की संख्या का फायदा उठाकर नर्सिंग कॉलेजों ने खुद चांदी काटी। जानकारी के अनुसार प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की संख्या के हिसाब से करीब एक लाख बिस्तर होने चाहिए थे। बिस्तर की संख्या पर्याप्त नहीं होने की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने दस सदस्यीय जांच समिति बनाकर नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने के निर्देश दिए। लेकिन नर्सिंग कॉलेजों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करते हुए यह तर्क दिया कि नर्सिंग काउंसिल की समिति जांच करती है उसी के जरिए जांच कराई जाए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जब जांच हुई तो फर्जी नर्सिंग कॉलेजों की हकीकत सामने आ गई। जांच समिति ने 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता खत्म करने की रिपोर्ट दी। जांच में यह भी पता चला कि स्टेट नर्सिंग काउंसिल ने ऐसे कॉलेजों को मान्यता दी हुई थी जो या तो केवल कागजों पर चल रहे थे या किराए के एक कमरे में चल रहे थे। कई नर्सिंग कॉलेज किसी अस्पताल से एफिलिएटेड नहीं थे। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने राज्य के सभी 375 नर्सिंग कॉलेजों की जांच CBI को सौंप दी। इस मामले में कांग्रेस ने बीजेपी सरकार को घेरा है। कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने कहा कि बीजेपी में सबसे ज्यादा शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार हो रहा है। यहां पैस्रे लेकर डिग्री बांटी जा रही है। सरकार ने प्रशासनिक सिस्टम को खत्म कर दिया। प्रदेश में आम आदमी का हक पैसे वाले ले रहे हैं।
चौंकाने वाले खुलासे
सीबीआई की शुरूआती जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। जांच पड़ताल की खबरें भी मीडिया में छाई रही। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, वैसे-वैसे कई बड़े खुलासे भी हुए। लेकिन समय बीतने के साथ जांच पर आंच आने लगी और भ्रष्टाचार के अंदर ही भ्रष्टाचार होने लगा। जांच है और जब उस पर आंच आने लगती है, तो कई सवाल भी जिम्मेदारों पर खड़े होते हैं।
जांच के दौरान मचा बवाल
सीबीआई की जांच के दौरान जब सियासी बवाल मचा। तब राज्य सरकार ने नर्सिंग कॉलेज के लेकर नियमों में बदलाव किया। हालांकि, जांच में इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। लेकिन विपक्ष ने सत्ता की मंशा पर सवाल जरूर खड़े किए। सबसे पहले हम उन नियम को जान लेते हैं, जिसके तहत नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी जाती है।
ये है नर्सिंग कॉलेज खोलने के नियम
-नर्सिंग कॉलेज की 25 लाख की बैंक गारंटी लगती
-5 साल में कॉलेज को खुद की बिल्डिंग बनानी होती
-कॉलेज के भवन की लीज डीड 30 साल तक होती
-एक जिला, एक संस्था, एक कॉलेज का प्रावधान
-ज्यादा बेड होने पर दूसरे कॉलेज को मिलती मान्यता
सरकारी नियमों के तहत प्रायवेट नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए संस्था के पास खुद की एकेडमिक बिल्डिंग होनी चाहिए। खुद का भवन न होने पर ऑनलाइन आवेदन करते समय नर्सिंग कॉलेज खोलने वाली संस्था को 25 लाख रुपए की बैंक गारंटी के साथ एफिडेविट देना होता है। साथ उस संस्था को पांच साल के भीतर अपनी खुद की बिल्डिंग बनानी होती है। पांच साल में बिल्डिंग न बनाने पर नर्सिंग कॉलेज की संचालक संस्था द्वारा जमा की गई 25 लाख की बैंक गारंटी जब्त हो जाती। इसके अलावा नर्सिंग कॉलेज की एकेडमिक बिल्डिंग लीज पर लेने के लिए समिति के पांच सदस्यों और नर्सिंग कॉलेज के बीच 30 साल की लीज डीड रजिस्टर्ड होने पर ही मान्य की जाएगी। अब इस घोटाले को लेकर क्रेडिट लेने की होड़ भी मच गई है। एनएसयूआई के मेडिकल विंग के प्रमुख रवि परमार का कहना है कि उनकी शिकायत पर ये पूरी कार्यवाही हो रही है। उन्होंने ही इस मामले को सबसे पहले उठाया था।
नियमों और प्रावधनों की बात करें, तो नर्सिंग कॉलेज में संचालित सभी कोर्स के लिए हॉस्पिटल में बिस्तर ज्यादा उपलब्ध होने पर दूसरे नर्सिंग कॉलेज को भी बाकी बिस्तरों के आधार पर मान्यता देने का प्रावधान है। साथ ही एक जिले में किसी भी समिति, ट्रस्ट या कंपनी एक नर्सिंग कॉलेज संचालित कर सकती है। जिले में पहले से चल रहे नर्सिंग कॉलेज के नाम से या उससे मिलते जुलते नाम या शॉर्ट नाम से नए नर्सिंग कॉलेज के आवेदन मान्य नहीं किए जाते हैं।
-ग्वालियर के बरोआ गांव में बांटी जा रही थी फर्जी डिग्रियां
-बिल्डिंग के बाहर बोर्ड लगाकर किया जा रहा था एडमिशन
-बिल्डिंग में सिर्फ एक कम्प्यूटर लैब थी
-यहां से यूपी, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश की दी जा रही थी डिग्री
-2 लाख में दी जा रही थी नर्सिंग कॉलेजों की फर्जी डिग्री
-सिर्फ परीक्षा के समय कॉलेज में नजर आते थे स्टूडेंट
केस नंबर-2
-एक महिला के नाम पर 8 कॉलेजों की प्रिंसिपल
-साल 2020-21 के रिकॉर्ड में महिला को बड़वानी के योगेश्वर नर्सिंग शिक्षा महाविद्यालय का प्रिंसिपल बताया
-इसी नाम की महिला बड़वानी के पास 8 नर्सिंग कॉलेजों में हैं प्रिंसिपल
-एक ही नाम का व्यक्ति 15 नर्सिंग कॉलेजों में प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और एसोसिएट प्रोफेसर
कांग्रेस के नर्सिंग घोटाले मामले की शिकायत करने के दावे पर प्रदेश बीजेपी मंत्री रजनीश अग्रवाल ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस सिर्फ बयानबाजी करती है। विपक्ष की भूमिका निभाने में नाकाम साबित हो रही। यदि कोई तीसरा दल होता तो, जनता विपक्ष के रूप में उसे स्वीकार भी नहीं करती।
नर्सिंग कॉलेज की मान्यता को लेकर नियम कायदे तो बनाए गए। लेकिन जिम्मेदारों ने इसका पालन नहीं कराया। प्रदेश के अधिकांश नर्सिंग कॉलेज कागजों पर संचालित हो रहे थे। जांच में इस बात का खुलासा भी हुआ। भ्रष्टाचार के नए-नए तारीके और रास्ते भी अपनाएं गए। हैरत की बात है कि सालों से चल रहे इस भ्रष्टाचार और घोटाले की भनक होने के बावजूद भी शासन प्रशासन ने आंख पट्टी बांधी रही।