MP Cabinet Meeting: मध्यप्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।
अब नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्षों का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा, यानी जनता सीधे अपने अध्यक्ष को चुनेगी। यह नई व्यवस्था वर्ष 2027 के आम चुनाव से लागू होगी।
कब-कब हुए बदलाव?
-
1994 तक महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षद करते थे।
-
1997 में दिग्विजय सिंह सरकार ने प्रत्यक्ष प्रणाली लागू की।
-
1999 से 2014 तक जनता सीधे महापौर और अध्यक्ष चुनती रही।
-
2019 में कमलनाथ सरकार ने फिर अप्रत्यक्ष प्रणाली लागू कर दी।
-
2022 में बीजेपी सरकार के दौरान पार्षदों ने अध्यक्ष चुना, जबकि मेयर जनता से चुना गया।
-
अब 2027 के चुनाव में जनता सीधे अध्यक्ष चुनेगी।
सरकार का तर्क
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि यह कदम लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए उठाया गया है। जो लोग अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ना चाहते हैं, वे अभी से तैयारी शुरू कर सकते हैं।
कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने
-
बीजेपी का कहना है कि यह फैसला जनता के हित में है और पारदर्शिता लाएगा।
-
कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी लोकतंत्र को बेचने-खरीदने का काम करती है और उसकी कोई स्थायी नीति नहीं है।
चुनावी सियासत पर असर
नगरीय निकाय चुनाव प्रदेश की राजनीति में हमेशा अहम भूमिका निभाते हैं। यह फैसला आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तैयारी पर भी असर डालेगा। बीजेपी इस कदम को जनता के बीच अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश करेगी, जबकि कांग्रेस के लिए चुनौती यह है कि वह जनता से जुड़े इस फैसले का विरोध आसानी से नहीं कर पाएगी।