Mp Police Brutality And Corruption Cases: MP Police पर सवाल, जब रक्षक ही भक्षक बन जाए — वर्दी की आड़ में लूट, हिंसा और जनता पर अत्याचार

Mp Police Brutality And Corruption Cases: मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जिस वर्दी से जनता की सुरक्षा की उम्मीद की जाती है, वही अब डर की वजह बनती जा रही है।

एमपी पुलिस पर लगातार बढ़ रहे हिंसा, लूटपाट और भ्रष्टाचार के मामलों ने आम लोगों का विश्वास हिला दिया है। खाकी की आड़ में अपराध और अत्याचार की कहानियां अब जनता के बीच आक्रोश का कारण बन रही हैं।

भोपाल में इंजीनियर की पिटाई से मौत

राजधानी भोपाल में दो पुलिसकर्मियों ने एक युवा इंजीनियर को बेरहमी से पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। घटना का वीडियो सामने आने के बाद पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया। सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों को जेल भेज दिया, लेकिन इस घटना ने एमपी पुलिस के असंवेदनशील चेहरे को उजागर कर दिया। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा और कहा कि “प्रदेश में पुलिस अब जनता की सुरक्षा नहीं, डर का कारण बन गई है।”

सिवनी में पुलिस लूट का खुलासा

सिर्फ बर्बरता ही नहीं, बल्कि अब पुलिस द्वारा लूट और डकैती के मामले भी सामने आने लगे हैं। सिवनी में एसडीओपी पूजा पांडे पर हवाला के करोड़ों रुपये लूटने के आरोप लगे। जब इस “बंदरबांट” का मामला सामने आया, तो सरकार को कार्रवाई करनी पड़ी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सख्त कदम उठाते हुए डीएसपी को गिरफ्तार करने के आदेश दिए। यह मामला साफ दिखाता है कि मैदानी स्तर से लेकर अधिकारियों तक भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हो चुकी हैं।

जनता में बढ़ रहा अविश्वास

लगातार बढ़ते पुलिस अत्याचारों से आम जनता में भय और अविश्वास की स्थिति बन गई है। लोगों का कहना है कि अब पुलिस “रक्षक नहीं, भक्षक” बन चुकी है। पुलिस विभाग में आत्मसमीक्षा और सुधार की सख्त ज़रूरत है ताकि जनता का विश्वास दोबारा बहाल हो सके।

 ‘बेलगाम पुलिस’ पर कब लगेगी लगाम?

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा है कि दोषी चाहे कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा।
हालांकि जनता अब यही पूछ रही है कि-

“क्या सिर्फ एक्शन लेने से सिस्टम सुधरेगा या अब पूरी पुलिस व्यवस्था का पुनर्गठन जरूरी है?”

प्रदेश में लगातार सामने आ रही घटनाओं ने साबित कर दिया है कि एमपी पुलिस में सुधार की जरूरत अब अनिवार्य हो चुकी है।

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