Dadabhai Naoroji: महात्मा गांधी का मार्गदर्शन करने वाला ‘ग्रैंड ओल्ड मैन’

भोपाल। दादाभाई नौरोजी एक ऐसे राजनीतिज्ञ थे, जिनका नाम भारत की स्वतंत्रता के लिए स्वतंत्रता संग्राम का पर्याय है। तो वहीं उनको “भारत के ग्रैंड ओल्ड मैन” के नाम से भी जाना जाता है। दादाभाई नौरोजी (Dadabhai Naoroji) की पहचान सिर्फ इतनी ही नहीं है, बल्कि उनको लड़कियों के लिए शिक्षा पर जोर देने वाले के तौर पर भी जाना जाता है। आज 30 जून है यानी कि दादाभाई नौरोजी की पुण्यतिथि। आज हम उनके द्वारा देश और समाज में किए गए कार्यों के बारे में जानेंगे।

दादाभाई नौरोजी का जन्म

उनका (Dadabhai Naoroji) का जन्म 4 सितंबर 1825 को बॉम्बे में एक पारसी परिवार में हुआ था।वो एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने ज़ोरोस्ट्रियन धर्म में अपनी आस्था को दृढ़ता से स्वीकार किया। अपने पूरे जीवन में उन्होंने कई संस्थाओं और संगठनों की नींव रखी जो पारसी धर्म के तरीकों के बारे में बात करते थे।

महिलाओं को शिक्षा प्रदान करने का महत्व

11 वर्ष की आयु में उनकी शादी गुलबाई से हुई थी। जीवन के प्रति दादाभाई नौरोजी (Dadabhai Naoroji) का दृष्टिकोण उनके प्रगतिशील विचारों के सिद्धांतों में उजागर होता है। अपने पूरे जीवन में, उन्होंने पुरुषों और महिलाओं के समान व्यवहार में विश्वास किया और हमेशा महिलाओं को शिक्षा प्रदान करने के महत्व को उठाया।

दादाभाई नौरोजी का राजनीतिक जीवन

दादाभाई नौरोजी का राजनीतिक जीवन बहुत ही शानदार रहा। वो औपनिवेशिक राज से आज़ादी की लड़ाई के अग्रदूतों में से एक थे। दादाभाई नौरोजी के कई योगदानों में से दो सबसे महत्वपूर्ण योगदान थे। जिनमें से एक वर्ष 1865 में लंदन इंडियन सोसाइटी की स्थापना और दूसरा वर्ष 1867 में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना। भारतीय नागरिकों के कल्याण के नाम पर इन दोनों संगठनों ने देश के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य से संबंधित मामलों पर ध्यान केंद्रित किया। साथ ही उन मामलों को अंग्रेजों के ध्यान में लाया जिनसे भारत के लोगों को लाभ हो सकता था। अपनी स्थापित भूमिकाओं के अलावा ये दोनों संगठन इसलिए भी महत्वपूर्ण थे, क्योंकि उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उभरने के लिए आधारशिला के रूप में काम किया। जिसने अंततः भारत की आज़ादी की लड़ाई में इतिहास की दिशा बदल दी।

कांग्रेस के अध्यक्ष बने

दादाभाई नौरोजी ने अंततः 1886, 1893 और 1906 के तीन वर्षों के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। दादाभाई नौरोजी को ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में संसद के पहले भारतीय सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद, उन्होंने ब्रिटिश संसद में भारतीयों से संबंधित कई मुद्दों को लगातार उठाया।

महात्मा गांधी जैसे कई नेताओं का मार्गदर्शन

दादाभाई नौरोजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी थे। वो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक बहुत ही मजबूत प्रभाव थे। उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले और मोहनदास करमचंद गांधी जैसे कई नेताओं को मार्गदर्शन दिया।

ब्रिटिश शासन की वास्तविक प्रकृति को उजागर किया

दादाभाई को ‘भारत के ग्रैंड ओल्ड मैन’ के रूप में भी याद किया जाता है। उन्हें इस उपाधि से इसलिए जोड़ा जाता है क्योंकि उन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान दिया था। वो न केवल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे महान नेताओं में से एक थे, बल्कि एक प्रगतिशील समाज सुधारक भी थे, जिनके प्रयास भारतीयों की राजनीतिक गतिशीलता से परे थे। उनकी बौद्धिक विशिष्टता ने ‘धन की निकासी के सिद्धांत’ को जन्म दिया, एक ऐसी समझ जिसने ब्रिटिश शासन की वास्तविक प्रकृति को उजागर किया।

भारत को स्व-स्वराज द्वारा शासित करने की मांग

वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को आकार देने के लिए बहुत ज़िम्मेदार थे,उनके अध्यक्ष रहने के तीन वर्षों के दौरान पार्टी को उचित रूप से पोषित किया गया। वर्ष 1904 में ग्रैंड ओल्ड मैन ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा की थी जिसमें उन्होंने भारत को स्व-स्वराज द्वारा शासित करने की मांग की।

30 जून 1917 को निधन

दादाभाई नौरोजी ने 30 जून 1917 को अंतिम सांस ली। अपने देश और देशवासियों के लिए उनका योगदान बहुत बड़ा था। दादाभाई नौरोजी ने न केवल अपनी मातृभूमि पर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी, बल्कि आधिकारिक सांसद के रूप में ब्रिटिश अधिकारियों के बीच हस्तक्षेप करने में भी ब्रिटिश संसद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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विरासत

मुंबई में दादाभाई नौरोजी रोड, पाकिस्तान के कराची में दादाभाई नौरोजी रोड, दक्षिण दिल्ली के नौरोजी नगर में सेंट्रल गवर्नमेंट सर्वेंट्स रेजिडेंशियल कॉलोनी और लंदन के फिन्सबरी सेक्शन में नौरोजी स्ट्रीट सहित कई ऐतिहासिक स्थलों और स्थानों का नाम उनके सम्मान में रखा गया है। देश और विदेश में ऐसे कई स्थल हैं जिन्हें दादाभाई के नाम पर रखा गया है। इससे ही उनके व्यक्तित्व के बारे में पता चलता है।

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