भोपाल। संस्कृति विभाग की ओर से चित्रकूट में भगवान श्रीराम पर केंद्रित देश का पहला श्रीरामलीला गुरुकुल बनाया जा रहा है। इसमें रामलीला से संबंधित सभी जानकारियां दी जाएंगी। साथ ही प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।(Shri Ramlila Gurukul)
यहांं आकर शोध कर सकेंगे शोधार्थी
जहां शोधार्थी आकर रामलीला पर शोध भी कर सकेंगे। खास बात यह है कि देश-विदेश के जितनी भी श्रीराम पर केंद्रित लीलाएं हैं, उसका समावेश गुरुकुल में मिलेगा। इतना ही नहीं देश के 15 राज्यों की रामलीलाओं की मंचन सामग्री, संगीत, वेशभूषा समेत मंचन विशेषता और इतिहास को एक स्थान पर सहेजा जाएगा।(Shri Ramlila Gurukul)
पांच एकड़ में संचालित होगा गुरुकुल
इस गुरुकुल में इच्छुक कलाकार प्रशिक्षण भी ले सकेंगे। भविष्य में अन्य देशों की रामलीलाओं को इसमें शामिल किया जाएगा। श्रीरामलोक को श्रीराम वनगमन पथ से जोड़ा जाएगा। चित्रकूट में बन रहे वनवासी श्रीरामलोक के पास 5 एकड़ में यह गुरुकुल संचालित होगा।(Shri Ramlila Gurukul)
शासन ने आवंटित की ज़मीन
इसके लिए शासन ने जमीन भी आवंटित कर दी है। संस्कृति विभाग के संचालक एनपी नामदेव के मुताबिक रामलीला हमारे देश ही नहीं विश्व की प्राचीन धरोहरों में से एक है। प्राचीन समय से एशियाई देशों में प्रभु श्रीराम की लीलाओं का मंचन गांव-देहात में भी किया जाता रहा है।(Shri Ramlila Gurukul)
रामलीला के प्रसंगों का दिया जाएगा प्रशिक्षण
संस्कृति विभाग के संचालक ने बताया कि चित्रकूट में श्रीरामलीला गुरुकुल तैयार किया जाएगा। इसमें रामलीला के प्रसंगों का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे युवा पीढ़ी को जोड़ा जा सके। गुरुकुल में गुरु-शिष्य परंपरा में प्रशिक्षण दिया जाएगा। रामलीला प्रस्तुति के विभिन्न प्रसंग में संवाद, प्रकाश आदि की बारीकियों से अवगत कराया जाएगा।(Shri Ramlila Gurukul)
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दुनियाभर के नाट्य लीला दलों को भी दिया जाएगा प्रशिक्षण
आने वाले समय में श्रीरामलीला गुरुकुल में देश ही नहीं दुनियाभर के नाट्य लीला दलों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें रूस, अमेरिका, थाइलैंड, कंबोडिया, जकार्ता, श्रीलंका, म्यांमार जैसे देशों के कला दलों को भी प्रशिक्षण का मौका दिया जाएगा। इन देशों के कलाकार स्थानीय कलाकारों को प्रशिक्षण देंगे। साथ ही वहां की रामलीला की संवाद शैली, वेश-भूषा, गीत-संगीत का संकलन भी किया जाएगा।