Shahid Machhli Case Nhrc Investigation: मध्य प्रदेश के चर्चित मछली परिवार मामले में अब नया विवाद सामने आ गया है। इस बार सवाल शाहिद मछली पर उठे हैं कि क्या वह वास्तव में एक खेलों से जुड़ा शूटर (खिलाड़ी) है या फिर वह आपराधिक गतिविधियों में शामिल अपराधी है।
प्रियंक कानूनगो का बयान
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने शाहिद की खेल पहचान पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि शाहिद को शूटर का दर्जा मिला है, लेकिन इसके पीछे कई संदिग्ध तथ्य सामने आ रहे हैं।
कानूनगो ने प्रशासन को इस पूरे मामले की विस्तृत जांच करने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि यदि शाहिद असली खिलाड़ी है, तो उसे उसका सम्मान मिलना चाहिए, और अगर वह अपराधी है तो कानून के मुताबिक कार्रवाई होनी चाहिए।
राइफल एसोसिएशन से मिला दर्जा
कानूनगो ने खुलासा किया कि शाहिद को राइफल एसोसिएशन ने शूटर का दर्जा दिया है। आमतौर पर यह दर्जा खिलाड़ियों को उनकी उपलब्धियों और प्रतियोगिताओं में भागीदारी के आधार पर दिया जाता है। लेकिन शाहिद की उपलब्धियों को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
तीन तरह के हथियारों के लाइसेंस
जांच में यह भी सामने आया है कि शाहिद के पास तीन अलग-अलग तरह के हथियारों के लाइसेंस हैं।
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इनमें विदेशी (इंपोर्टेड) राइफल शामिल है।
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एक स्वदेशी राइफल और पिस्टल भी उसके पास मौजूद हैं।
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इन हथियारों में से कई ऐसे हैं जिन्हें खेलों में इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि वे सीधे तौर पर घातक हथियारों की श्रेणी में आते हैं।
खेल उपलब्धियों पर संदेह
प्रियंक कानूनगो ने यह भी कहा कि भोपाल प्रशासन के पास शाहिद मछली के किसी भी खेल उपलब्धि का रिकॉर्ड नहीं है।
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न तो किसी बड़े टूर्नामेंट में उसकी जीत की जानकारी है।
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न ही कोई अवॉर्ड या पदक मिलने का रिकॉर्ड उपलब्ध है।
इससे यह संदेह गहरा हो गया है कि शाहिद को शूटर का दर्जा दिलाने में कहीं नियमों की अनदेखी या गलत तरीके से फायदा पहुँचाने की कोशिश तो नहीं की गई।
खिलाड़ी है तो सम्मान, अपराधी है तो सज़ा
कानूनगो ने साफ कहा कि यदि शाहिद वास्तव में खिलाड़ी है तो उसे खिलाड़ी के तौर पर सम्मान और पहचान मिलनी चाहिए। लेकिन अगर वह अपराध की आड़ में खेल का नाम इस्तेमाल कर रहा है, तो यह “आपराधिक खेल” है और इसके सभी खिलाड़ियों (सहयोगियों) को पकड़ना जरूरी है।
बड़ा सवाल
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शाहिद को शूटर का दर्जा कैसे मिला?
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उसके पास इतने तरह के घातक हथियार क्यों हैं?
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उसकी कोई खेल उपलब्धि क्यों दर्ज नहीं है?
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क्या यह खेल के नाम पर अपराध की आड़ है?
इन सवालों ने पूरे मामले को और पेचीदा बना दिया है।