Social Media Ban Protest: नेपाल में सोमवार को सोशल मीडिया बैन के खिलाफ हजारों Gen Z युवाओं ने राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में प्रदर्शन किया। यह विरोध अचानक हिंसक हो गया, जिसमें 21 लोगों की मौत और 400 से अधिक लोग घायल हो गए।
सरकार ने देर रात सोशल मीडिया ऐप्स पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिया। इससे पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बैन वापस लेने से इनकार किया था।
हिंसा की जांच के लिए समिति
प्रधानमंत्री ओली ने मृतकों के प्रति शोक व्यक्त किया और कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन में असामाजिक तत्व शामिल हो गए थे। सरकारी संपत्ति बचाने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा।
उन्होंने घोषणा की कि घटना की जांच के लिए एक समिति बनाई जाएगी, जो 15 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी।
गृहमंत्री का इस्तीफा, पद नहीं छोड़ने देंगे ओली
हालात बिगड़ने के बाद गृहमंत्री रमेश लेखक ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि, सूचना एवं प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने साफ कर दिया कि प्रधानमंत्री ओली इस्तीफा नहीं देंगे।
सरकार ने बैन हटाने के साथ मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने और घायलों का मुफ्त इलाज कराने की घोषणा की है।
काठमांडू में कर्फ्यू और सेना की तैनाती
प्रदर्शन बेकाबू होने के बाद काठमांडू में सेना तैनात की गई। संसद भवन के आसपास के इलाके सेना के नियंत्रण में हैं।
प्रशासन ने काठमांडू, ललितपुर, पोखरा, बुटवल और ईटहरी में कर्फ्यू लगा दिया है। कर्फ्यू के दौरान किसी भी तरह की सभा, रैली और आवाजाही पर रोक रहेगी।
कैसे शुरू हुआ विरोध?
युवाओं ने संसद भवन के सामने सोशल मीडिया बैन के खिलाफ प्रदर्शन किया। कुछ प्रदर्शनकारी संसद परिसर में घुस गए, जिसके बाद पुलिस ने पानी की बौछार, आंसू गैस और गोलीबारी का इस्तेमाल किया। इसी दौरान हिंसा भड़क गई।
सरकार का पक्ष
प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं है, लेकिन जो कंपनियां नेपाल में कमाई कर रही हैं, उन्हें कानून का पालन करना होगा। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को “कठपुतली” करार दिया।
पत्रकारों और तकनीकी संगठनों ने भी सोशल मीडिया बैन के खिलाफ आवाज उठाई थी।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था ने हिंसा पर चिंता जताई और निष्पक्ष जांच की मांग की। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान और दक्षिण कोरिया समेत कई देशों ने भी मृतकों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
बैन क्यों लगाया गया था?
सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वॉट्सऐप, रेडिट और X समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगाया था। कारण यह बताया गया कि इन कंपनियों ने निर्धारित समय में सरकार के पास रजिस्ट्रेशन नहीं कराया।
सरकार का दावा था कि यह कदम सेंसरशिप नहीं बल्कि नियमों के पालन के लिए उठाया गया।
असली गुस्सा: बेरोजगारी और भ्रष्टाचार
युवाओं का गुस्सा केवल सोशल मीडिया बैन तक सीमित नहीं था। उन्होंने बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के लिए भी सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
सोशल मीडिया पर #NepoKid ट्रेंड करते हुए युवाओं ने आरोप लगाया कि नेताओं के बच्चे भ्रष्टाचार से मिली सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं, जबकि आम लोग बेरोजगारी से जूझ रहे हैं।