Teachers’ Day 2025: शिक्षक दिवस 2025: मध्यप्रदेश के दो शिक्षकों को मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, राष्ट्रपति करेंगी सम्मानित

Teachers’ Day 2025: शिक्षक दिवस के मौके पर मध्यप्रदेश के दो शिक्षकों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिलने जा रहा है। 5 सितम्बर 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु इन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान करेंगी।

दो शिक्षक होंगे सम्मानित

पुरस्कार पाने वाले शिक्षकों में दमोह जिले की प्राथमिक शिक्षिका श्रीमती शीला पटेल और आगर-मालवा जिले के माध्यमिक शिक्षक भेरूलाल ओसारा शामिल हैं।

इस बार प्रदेश के 45 जिलों से 145 शिक्षकों ने आवेदन किया था। राज्य स्तरीय चयन समिति ने इनमें से 6 नाम केंद्र को भेजे थे, जिनमें से 2 शिक्षकों का चयन राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए हुआ।

स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने चयनित शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि ये दोनों शिक्षक अपने कार्यों से प्रदेश के बाकी शिक्षकों के लिए प्रेरणा बनेंगे।

शीला पटेल- बच्चों के लिए नई सोच

दमोह जिले की शिक्षिका श्रीमती शीला पटेल ने बच्चों को पढ़ाने का तरीका बदल दिया है।

  • उन्होंने गीत, कविता, कहानी और अभिनय के जरिए बच्चों को पढ़ाई में मज़ेदार तरीके से जोड़ा।

  • अवकाश के दिनों में महिला साक्षरता क्लास, समर कैम्प और विंटर कैम्प आयोजित किए।

  • गाँव की गलियों और मोहल्लों में लर्निंग वॉल और पटल बनवाकर बच्चों के लिए सीखने का माहौल तैयार किया।

  • बिना खर्च किए टीचिंग-लर्निंग मटेरियल तैयार कर बच्चों की समझ बढ़ाने का काम किया।

  • समूह चर्चा और खेल-खेल में पढ़ाई से बच्चों में पढ़ाई की रुचि बढ़ाई।

भेरूलाल ओसारा- शिक्षा और सामाजिक जागरूकता का संगम

आगर-मालवा जिले के शिक्षक भेरूलाल ओसारा ने बच्चों में पढ़ाई के साथ-साथ नैतिकता और रचनात्मकता को भी बढ़ावा दिया।

  • उन्होंने स्कूल में ईको क्लब और क्लैप क्लब शुरू किए, जिससे बच्चों को पर्यावरण संरक्षण, जल बचत, पौधरोपण और प्लास्टिक के नुकसान के बारे में समझाया।

  • बच्चों को नुक्कड़ नाटक, रैलियों, पोस्टर और निबंध प्रतियोगिताओं के जरिए सामाजिक मुद्दों पर जागरूक किया।

  • डिजिटल युग को ध्यान में रखते हुए बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षा सिखाई।

    • साइबर अपराध के खतरे,

    • सोशल मीडिया का सुरक्षित उपयोग,

    • पासवर्ड सुरक्षा जैसे विषयों पर विशेष सत्र आयोजित किए।

उनके इन प्रयासों से न केवल बच्चे, बल्कि आसपास के अन्य शिक्षक भी प्रेरित हुए।

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