भोपाल ब्यूरो। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने हाल ही में अपने 71 जिला अध्यक्षों की सूची जारी की थी। लंबे मंथन के बाद घोषित इस सूची में 6 विधायकों और 11 पूर्व विधायकों को जिम्मेदारी दी गई, जबकि 18 जिला अध्यक्षों पर फिर भरोसा जताया गया। हालांकि, सूची जारी होने के बाद कांग्रेस में बगावती सुर तेज हो गए हैं। भोपाल से लेकर कई जिलों में असंतोष सामने आ रहा है। सूची में महिलाओं की संख्या भी बेहद कम है। 71 जिला अध्यक्षों में केवल 4 महिलाएं शामिल की गईं।
भोपाल में विवाद, सोशल मीडिया पर पोस्ट से नाराज़गी
भोपाल में प्रवीण सक्सेना को दोबारा शहर जिला अध्यक्ष बनाए जाने पर पूर्व अध्यक्ष मोनू सक्सेना ने सोशल मीडिया पर विरोध जताया। उन्होंने लिखा – “राहुल गांधी ने मांगा था संगठन सृजन, भोपाल में हुआ विसर्जन।” इसी तरह अन्य जिलों में भी असंतोष खुलकर सामने आ रहा है। कई दावेदारों ने पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
जीतू पटवारी का डैमेज कंट्रोल
घमासान बढ़ता देख प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी सामने आए। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि जिला अध्यक्ष नहीं बनने वाले नेताओं को संगठन में अन्य पदों पर एडजस्ट किया जाएगा। साथ ही, नाराज़ नेताओं से बातचीत भी शुरू कर दी गई है।
बीजेपी ने साधा निशाना
कांग्रेस के भीतर मचे घमासान पर बीजेपी ने तंज कसा है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि कांग्रेस में हमेशा से गुटबाजी रही है। वहीं भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने कहा – “कांग्रेस में जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं का अपमान होता है, उनकी कद्र नहीं की जाती। कांग्रेस अब विसर्जन की ओर बढ़ रही है।”
बीजेपी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने सीनियर कार्यकर्ताओं की अनदेखी की है और इसका पार्टी को भविष्य में नुकसान उठाना पड़ेगा।
71 जिला अध्यक्षों की सूची में खास बातें
- 6 विधायकों को जिलाध्यक्ष बनाया गया (गुना से जयवर्धन सिंह, उज्जैन ग्रामीण से महेश परमार, रायसेन से देवेंद्र पटेल समेत)।
- 11 पूर्व विधायक भी जिलाध्यक्ष बने (राजगढ़ से प्रियव्रत सिंह, इंदौर ग्रामीण से विपिन वानखेडे, नरसिंहपुर से सुनीता पटेल आदि)।
- केवल 4 महिलाएं बनीं जिला अध्यक्ष (विजयलक्ष्मी तंवर, प्रतिभा रघुवंशी, सुनीता पटेल, सरस्वती सिंह मरकाम)।
- 18 जिला अध्यक्षों को दोबारा मौका मिला (भोपाल शहर से प्रवीण सक्सेना, छिंदवाड़ा से विश्वनाथ ओक्टे, उज्जैन शहर से मुकेश भाटी आदि)।
कुल मिलाकर आलम ये है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस ने संगठनात्मक संतुलन के लिए यह सूची जारी की थी, लेकिन इसके बाद पैदा हुआ घमासान और विरोध बीजेपी के लिए अब बड़ा राजनीतिक हथियार बन गया है। अब देखना ये होगा कि कांग्रेस अपनी ही पार्टी में मचे इस घमासान को कैसे कंट्रोल करती है, और अब इस मामले पर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व किस तरह की प्रतिक्रिया देता है।
MANOJ RATHORE, BSTV, BHOPAL…