नक्‍सलियों के अभेद किले पर बड़ा प्रहार, बीजापुर मुठभेड़ स्‍थल पर BSTV की टीम

-नक्सल ‘गढ़’ से LIVE ‘कवरेज’ 
-BSTV की ग्राउंड रिपोर्ट
-बीजापुर मुठभेड़ स्‍थल पर BSTV की टीम
-नक्सलियों की गुरिल्ला युद्ध नीति हुई फेल
-सुरक्षा बलों को मिली बड़ी सफलता
-नक्‍सलियों के अभेद किले पर बड़ा प्रहार
1969 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी में जन्मा नक्सलवाद ने 80 के दशक से दण्डकारण्य में पैर पसारना शुरू किया था। बीते दो दशक में बस्तर में नक्सली घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ। खासकर टीसीओसी यानि टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन के दौरान। दरअसल गुरिल्ला युद्ध में दक्ष माओवाद संगठन पतझड़ शुरू होते काफी आक्रामक हो जाता है। बीते दो दशक में टीसीओसी के दौरान बस्तर में माओवाद संगठन ने बड़ी हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया है। इनमें साल 2010 में ताड़मेटला में 76 जवानों की शहादत से लेकर मई 2013 में झीरम नरसंहार जैसी हृदयविदारक घटना शामिल है।

-अपने गढ़ में मुंह की खानी पड़ी
-टारगेट पर नक्‍सलियों के अभेद गढ़
-कमजोर हो रहा नक्‍सलियों का नेटवर्क
-अब नक्‍सलियों की खैर नहीं !
दो अप्रैल को नेंडरा के जंगल में माओवादियों की कंपनी नंबर दो के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए 13 नक्‍सलियों की घटना को स्‍टेट पुलिस की बड़ी सफलता बताया जा रहा। दरअसल, सुरक्षा बलों ने नक्‍सलियों के अभेद इलाकों में नए कैंपों की स्‍थापना की। यहां अपने नेटवर्क को भी मजबूत किया। पुलिस की बढ़ती सक्रियता से नक्सल संगठन की पकड़ अपने ही इलाकों में कमजोर पड़ने लगी। गुरिल्ला युद्ध में महारत हासिल हाेने के बावजूद भी सुरक्षा बल के जवान नक्‍सलियों पर भारी पड़ रहे हैं। इस साल की शुरूआत से लेकर अब तक जवानों ने करीब 43 माओवादियों को ढेर किया। इनमें से करीब 25 माओवादियों को टीसीओसी के दौरान ही एनकाउंटर में मार गिराया गया। इसके अलावा 181 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, तो पुलिस की घेराबंदी के चलते 120 नक्सलियों ने सरेंडर किया। बीएसटीवी की टीम बीजापुर मुठभेड़ स्‍थल की हर एक तस्‍वीर को अपने कैमरे में कैद की। एनकाउंटर स्‍थल पर मिले सामान इस बात की भी गवाही दे रहे थे कि किस तरीके से नक्‍सली रात के समय मूवमेंट करते थे। वे रोशनी के लिए सोलर पैनल का इस्‍तेमाल करते थे। मौके पर बीएसटीवी की टीम को कुछ सोलर पैनल भी मिले।
-साल 2010
ताड़मेटला में सबसे बड़ा नक्सली हमला
हमले में 76 जवानों की शहीद हुए थे
रानीबोदली में 56 जवान मारे गए थे
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24 अप्रैल 2017
सुकमा के बुरकापाल नक्‍सलियों का बड़ा हमला
हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हुए थे
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-9 अप्रैल 2019
दंतेवाड़ा में एक नक्सली विस्फोट
भाजपा विधायक भीमा मंडावी और चार सुरक्षा कर्मी शहीद हुए थे
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– 21 मार्च, 2020
सुकमा के मिनपा इलाके में नक्सली हमला
हमले में 17 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे
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-3 अप्रैल 2021
सुकमा और बीजापुर जिलों की सीमा पर नक्सलियों का हमला
हमले में सुरक्षा बलों के 22 जवान शहीद हुए थे
इसी तरह दंतेवाड़ा अरनपुर में हुए माओवादी हमले में 10 डीआरजी के जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। एनकाउंट से ना सिर्फ नक्सल संगठन का मनोबल टूटा है। बल्कि जिसे अपना सबसे सुरक्षित ठिकाना नक्‍सली मानते हैं, वहां भी जवानों ने घुसकर उनका सफाया किया। नक्‍सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का एक्‍शन जारी है।

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