MP में रेत के लिए नदियों पर निर्भरता होगी खत्म! एम-सेंड पॉलिसी में सब्सिडी देने की योजना बना रही सरकार

भोपाल। अब जल्द ही मध्यप्रदेश में रेत के लिए नदियों पर निर्भरता खत्म होगी। प्रदेश की मोहन यादव सरकार नदियों के संरक्षण के लिए बन रही एम सेंड (मैकेनिकल सेंड ) पॉलिसी में छूट देने जा रही है। सरकार ने इस पॉलिसी की तीन श्रेणियों में सब्सिडी देने की योजना बनाई है। यह रेत नदियों की रेत के मुकाबले लोगों को कम दाम में उपलब्ध होगी, जिससे निर्माण लागत में भी कमी आएगी। बता दें कि पत्थरों को तोड़कर उसे तकनीकी दक्षता की रेत बनाने को एम-सेंड कहा जाता है यह बिल्कुल वैसी ही रेत होती है जैसी नदियों से निकलती है। (Madhya Pradesh M-Sand Policy)

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प्लांट लगाने पर मिलेगी 10 करोड़ की छूट

नई पॉलिसी में ये प्रस्तावित किया गया है कि राज्य में एम-सेंड का 10 करोड़ रुपए का प्लांट लगाने पर 40% तक की सब्सिडी सरकार की तरफ से दी जाएगी। साथ ही पॉलिसी में ओवर बर्डन निष्पादन कराने वाला भी एमपी देश का पहला राज्य होगा। ओवर बर्डन निष्पादन मतलब खनन के समय मिट्टी के साथ निकलने वाले पत्थरों के टुकड़े। पॉलिसी में इन पत्थरों को भी तोड़कर रेत निर्माण की परमिशन दी जा रही है। अभी तक खनन के बाद निकले पत्थर किसी काम के नहीं होते थे। (Madhya Pradesh M-Sand Policy)

8 राज्यों में लागू एम-सेंड पॉलिसी

वर्तमान में देश के तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात और केरल समेत 8 राज्यों एम-सेंड पॉलिसी लागू है। केरल में इस पॉलिसी के लागू होने के बाद नदियों से रेत का उत्खनन लगभग खत्म हो गया है। सभी स्टेक होल्डर्स से मीटिंग की प्रोसेस पूरी करने के बाद बनी मप्र एम-सेंड पॉलिसी अपने आखिरी चरण में है। जल्द ही ये लागू हो जाएगी।

लोगों को मिलेगी सस्ती दामों में रेत

नदियों से निकलने वाली रेत की तुलना में एम-सेंड लोगों को सस्ते दामों में उपलब्ध होगी। इसकी वजह रायल्टी की दरें हैं जो कि एम-सेंड के लिए 50 रुपए प्रति घन मीटर रखी जाएंगी। इसके अलावा पॉलिसी में प्लांट स्थापित करने के लिए 3 अलग-अलग श्रेणियों में छूट देने का प्रावधान किया जा रहा है। नई पॉलिसी में 10 करोड़ रुपए तक का प्लांट लगाने पर 40%, 10-50 करोड़ रुपए तक के प्लांट पर 35% तक की सब्सिडी दी जा सकती है। वहीं 50 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत वाले बड़े प्लांट पर लगाने पर जल्द आने वाली मप्र उद्योग पॉलिसी में उद्योग विकास अनुदान देने का प्रस्ताव बनाया गया है।

बता दें कि अभी प्रदेश की लगभग 50 नदियों से वैध तरीके से उत्खनन किया जाता है। इनमें नर्मदा, बेतवा और तवा समेत 10 नदियां ऐसी हैं जहां सबसे ज्यादा उत्खनन होता है। इन नदियों से पूरे साल में करीब 2.5 करोड़ घन मीटर रेत निकाली जाती है। हालांकि, प्रदेश की सालाना जरूरत करीब 4 करोड़ घनमीटर रेत की है। यानी उत्खनन के बाद भी डेढ़ घनमीटर रेत की और जरुरत पड़ती है।

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