नई दिल्ली / वाशिंगटन | भारत के रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी को लेकर अमेरिका में ही विरोध के स्वर तेज़ हो गए हैं। ट्रंप के बयान के कुछ घंटों बाद ही उनकी ही पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व राजनयिक निक्की हेली ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
निक्की हेली ने साफ कहा – “भारत को टार्गेट मत करो। चीन सबसे बड़ा विरोधी है, भारत नहीं।”
ट्रंप बोले – भारत अच्छा ट्रेड पार्टनर नहीं, टैरिफ बढ़ेगा
ट्रंप ने रविवार को एक चुनावी सभा के दौरान भारत पर तीखा हमला करते हुए कहा कि, “भारत रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में चुपचाप मदद कर रहा है।”
उन्होंने कहा कि भारत ने व्यापार में अमेरिका के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया है, और अगले 24 घंटों में वह भारत पर टैरिफ काफी हद तक बढ़ा देंगे। इस बयान के बाद भारत सरकार ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर ट्रंप के आरोपों को “दोहरे मापदंड” करार दिया।
भारत का जवाब – ‘तेल खरीद हमारी मजबूरी है, चीन से क्यों नहीं पूछते?’
भारत ने दो टूक शब्दों में कहा कि – “हम सस्ती और स्थिर ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए रूस से तेल खरीदते हैं। अमेरिका और यूरोपीय देश भी यही कर रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि हमारी ये मजबूरी है, उनकी नहीं।” भारत ने यह भी याद दिलाया कि जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था, तब अमेरिका ने खुद भारत को रूस से तेल खरीदने की सलाह दी थी, ताकि वैश्विक तेल बाजार स्थिर बना रहे।
निक्की हेली ने ट्रंप को घेरा – ‘भारत से रिश्ते मत बिगाड़ो’
दक्षिण कैरोलिना की पूर्व गवर्नर और ट्रंप प्रशासन में संयुक्त राष्ट्र की राजदूत रहीं निक्की हेली ने ट्रंप के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में लिखा: “भारत को रूस से तेल नहीं खरीदना चाहिए – ठीक है। लेकिन चीन को टैरिफ में छूट देना और भारत जैसे लोकतांत्रिक सहयोगी को दंडित करना गलत है।”
हेली ने दो टूक कहा कि चीन आज भी रूस और ईरान से सबसे ज्यादा तेल खरीद रहा है, फिर भी उसे अमेरिका 90 दिनों की टैरिफ छूट दे रहा है।
निक्की हेली क्यों भारत का बचाव कर रही हैं?
हेली खुद भारतीय मूल की पहली कैबिनेट मंत्री रही हैं। वह हमेशा भारत-अमेरिका स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप की पक्षधर रही हैं। उनका मानना है कि चीन के प्रभाव को रोकने के लिए भारत जैसे लोकतंत्रों के साथ गहरा रिश्ता जरूरी है।
क्या ट्रंप की धमकी असर डालेगी?
विश्लेषकों का मानना है कि ये बयान फिलहाल चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं। लेकिन भारत-अमेरिका संबंधों पर इसका दीर्घकालिक असर पड़ सकता है अगर इसे गंभीरता से लागू किया गया।
निष्कर्ष – भारत को टारगेट करना सही रणनीति नहीं?
जहां एक ओर भारत अपनी ऊर्जा नीति को राष्ट्रीय हित और वैश्विक स्थिरता से जोड़कर देखता है, वहीं अमेरिका में राजनीतिक द्वंद्व के बीच भारत जैसे सहयोगी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
निक्की हेली की बातों से साफ है कि ट्रंप की सोच से हर कोई सहमत नहीं, खासकर तब, जब मुकाबला चीन जैसा विरोधी हो।