World Photography Day 2025: भोपाल…एक ऐसा शहर जहां की गंगा जमुनी तहजीब…तासीर में घुला खुशनुमा मिजाज…बेफिक्र और बेलौस जिंदगी…किस्से कहानियां…नवाबी दौर की शीरीं यादें…और सुकून पसंद तबीयत के लोग…ये तारुफ है इस शहर का…भोपाल आज जैसा नजर आता है जाहिर है पहले वैसा नहीं था…देखने वाली बात है कि अदबो आदाब के साथ अपनी खास पहचान रखने वाले इस शहर की तारीफ की जाती है तो पुराने दौर का जिक्र भी आता है…और जब पुराने दौर का जिक्र होता है तो याद आते हैं एसके मावल जिनके कैमरे ने भोपाल का हर दौर कैद किया जो आज की पीढ़ी के लिए किसी धरोहर से कम नहीं है…एसके मावल साहब के ये फोटोग्राफ्स आपको ले जाते हैं उस दौर के सादा से माहौल में जहां इतिहास जीवंत होता दिखता है…

पुल पुख्ता

ऐसा दिखा करता था पुल पुख्ता
जुमेराती गेट

ऐसा दिखता था पहले जुमेराती गेट जो आज अपना वजूद बचाने की जद्दोजहद करता दिखाई देता है
सर्राफा बाजार

ये है भोपाल का सर्राफा बाजार जो नवाबी दौर में ऐसा नजर आता था
सदर मंजिल

सदर मंजिल का ये फोटो उस दौर के वैभव की झलक दिखाता है…आज ये इमारत हेरीटेज होटल का रूप ले चुकी है
भोपाल टॉकीज

ये है भोपाल की पहली भोपाल टॉकीज जिसकी बस यादें शेष हैं
किले का बुर्ज

बड़े तालाब के किनारे का ये बुर्ज जिसपर आज राजा भोज की प्रतिमा स्थापित है।
मॉडल हाई सें. स्कूल

टीटी नगर मॉडल हा.सें. स्कूल की तस्वीर जब ऐसा दिखता था मॉडल स्कूल
रवींद्र भवन

साल 1959 में एसके मॉवल द्वारा खींची गई रवीन्द्र भवन की तस्वीर जिसके नाम से कला और संस्कृति की महक आती है।