Education System:शिक्षा व्यवस्था में ऐसी ‘दरार’, 90 साल हो गए पार, अब तो सुधार दो ‘सरकार’ !

सागर।  आज़ादी के कई दशकों के बाद जहां आज चारों ओर डिजिटल युग का चलन है। सरकारों द्वारा सरकारी स्कूलों में वर्ल्ड क्लास की शिक्षा देने का दंभ भरा जाता है। उसी समाज में एक ऐसा स्कूल है जिसका अस्तित्व तो आजादी के पहले का है, लेकिन स्कूल भवन की स्थिति ऐसी है कि जैसे वो स्कूल देश के नक्शे से ही बाहर हो। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उस जर्जर भवन में आजादी के बाद हाई स्कूल की मान्यता भी दी गई और अब वही स्कूल हायर सेकेंडरी भी बना दिया गया। मगर अफसोस स्कूल का जर्जर भवन आज भी अपनी यथास्थिति में है।(Education System)

रसेना ग्राम पंचायत का जर्जर स्कूल

हम बात कर रहे हैं सागर जिले के तहसील देवरी की ग्राम पंचायत रसेना की। जहां का शासकीय उच्चतर हायर सेकेंड्री स्कूल करीब 90 साल पुराना है। इस विद्यालय की शुरुआत प्राथमिक शाला के तौर पर हुई थी जिसको 40 साल पहले हाई स्कूल बनाया गया। इतना ही नहीं फिर 2018 में हायर सेकेंड्री हुआ। आश्चर्य की बात है कि साल दर साल स्कूल की मान्यता तो बढ़ रही है लेकिन भवन की स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है।(Education System)

दरारों के बीच बैठकर पढ़ने को मजबूर बच्चे

मौजूदा वक्त की बात करें तो स्कूल में 745 बच्चों के नाम दर्ज हैं, तो वहीं स्कूल स्टाफ की संख्या भी 35 है। लेकिन मौजूदा वक्त में सिर्फ 10 शिक्षकों के भरोसे चलाया जा रहा है। स्कूल भवन के कमरों की दरारें बच्चों के मन में डर पैदा कर रही हैं। इतना ही नहीं बारिश के मौसम में छत पर पड़ा छप्पर भी दम तोड़ता नजर आ रहा है। जहां बड़े-बड़े टुकड़े गिरने से बच्चे भी पढ़ाई में मन नहीं लगा पा रहे हैं।(Education System)

स्कूल की हालत की जानकारी अधिकारियों को भी है

हालात ये हैं कि जब बारिश होती है तो बच्चे स्कूल आते जरूर हैं लेकिन पढ़ाई नहीं करते, बल्कि कमरें में भरे हुए पानी से बचाव के तरीके ढूंढते हैं। ऐसी समस्या से जूझने वाले स्कूल प्रबंधन का कहना है कि प्राचार्य स्कूल की ऐसी बदतर हालत को लेकर सरपंच ,बीईओ, जिला शिक्षा अधिकारी, जनपद अध्यक्ष,विधायक ,शिक्षा मंत्री तक से शिकायत की गई। मगर हमेशा की तरह सिर्फ आश्वासन ही हाथ आया।(Education System)

मंत्री रामनिवास रावत से ठगी का प्रयास, बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के नाम पर मांगे 5 लाख रुपये

विधानसभा में भी उठ चुका है मुद्दा

इतना ही नहीं, इस समस्या को पूर्व बिधायक हर्ष यादव ने विधानसभा में भी उठाया था जिसके बाद नए भवन को लेकर संचालनालय भोपाल ने डीईओ सागर से स्कूल की रिपोर्ट भी मांगी थी। जिसके बाद स्कूल तो स्कूल प्रबंधन ने पत्र के माध्यम से जानकारी भी भेजी थी। इतने बड़े स्तर तक एक जर्जर भवन की मांग पहुंचने के बाद भी बच्चे आज भी जर्जर भवन में बैठकर ही पढ़ने को मजबूर हैं।

शहर चुने