पुराने चेहरों पर नहीं रहता भरोसा, जनता की नाराजगी वजह तो नहीं ? एंटी इंकम्बेंसी के चलते होता बदलाव ? 7 सीटों पर चलती परिवर्तन की लहर
भोपाल, मनोज राठौर। मध्यप्रदेश की सभी लोकसभा सीट जीतने का दम भरने वाली बीजेपी को अपनी विनिंग सीटों पर भरोसा नहीं है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा, क्योंकि यहां हर बार बीजेपी नए चेहरों को उम्मीदवार बनाती है। उसे पुराने चेहरों पर भरोसा नहीं रहता। इस बाद भी बीजेपी ने कई सीटों पर कुछ ऐसा ही किया। देखिए भोपाल से हमारी ये खास रिपोर्ट…
बीजेपी ने प्रदेश की सभी 29 सीटों को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सियासी समीकरण के हिसाब से बीजेपी के पास 28 सीटें हैं, तो कांग्रेस के पास सिर्फ एक सीट। सभी सियासी समीकरण को बैठाने के लिए हर रणनीति पर काम किया गया। छिंदवाड़ा सीट पर बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। कमलनाथ के गढ़ को ढहाने के लिए बीजेपी की फौज तैनात है। लेकिन इन सबके बीच बीजेपी को अपने कई अभेद किलो पर भरोसा नहीं रहा। इन किलो पर जीत बरकरार रखने के लिए सियासी उठक पठक जारी है। इन विनिंग सीट पर जीतने के बावजूद पुराने चेहरों पर बीजेपी भरोसा नहीं कर पा रही। इन सीटों पर जीत को बरकरार रखने के लिए हर बार नए चेहरों को उतारा जाता है। पुराने चेहरों से पार्टी परहेज करती है। इसके पीछे भी कई सियासी समीकरण हो सकते हैं। इन विनिंग सीट में भोपाल, विदिशा, मुरैना, ग्वालियर, बालाघाट, रतलाम और सागर सीट शामिल हैं।
भोपाल लोकसभा सीट
-2009 में पूर्व सीएम कैलाश जोशी जीते
-2014 में आलोक संजर को मौका मिला
-2019 में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सांसद बनी
-2024 में आलोक शर्मा बने उम्मीदवार
सागर लोकसभा सीट
भूपेंद्र सिंह, लक्ष्मीनारायण, राजबहादुर सिंह को जीत मिली
2024 में लता वानखेड़े को चुनावी मैदान में उतारा
ग्वालियर लोकसभा सीट
-2009 में यशोधरा राजे सिंधिया सांसद बनी
-2014 में नरेंद्र सिंह तोमर को जीत मिली
-2019 में विवेक शेजवलकर सांसद बने
-2024 में भारत सिंह कुशवाह को उम्मीदवार बनाया
बीजेपी ने प्रदेश की सभी 29 सीटों को जीतने का टारगेट रखा है। इसके लिए बीजेपी हर बूथ पर अपने वोटिंग प्रतिशत को बढ़ाने के प्लान पर भी काम कर रही। प्रदेश बीजेपी संगठन के मंत्री रजनीश अग्रवाल का कहना है कि इस बार प्रदेश की सभी लोकसभा सीट बीजेपी जीतेगी। साथ ही पिछली बार 58 वोट प्रतिशत को भी बढ़ाया जायेगा। इसके लिए पार्टी ने 60 से 65 प्रतिशत वोट शेयर का टारगेट रखा।
भोपाल लोकसभा सीट पर हर बार नए चेहरों को मौका दिया गया। यहां के सियासी समीकरण को पूरे देश के लिहाज से तैयार किया जाता। 2019 के चुनाव में यही समीकरण देखने को मिले। वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की गई। भोपाल से देश की हर सीट पर माहौल बनाया गया। कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह को लेकर बीजेपी एक अलग सियासी लकीर खींचने लगी। इसमें बीजेपी सफल भी रही और प्रज्ञा ठाकुर प्रचंड बहुमत से जीतीं भी। लेकिन ग्वालियर और सागर के सियासी समीकरण थोड़े अलग हैं। यहां क्षेत्रीय और दूसरे समीकरण की जमावट के लिए नए चेहरों को मौका दिया गया। पुराने चेहरों पर भरोसा नहीं किया गया।
बालाघाट लोकसभा सीट
-2009 में केडी देशमुख सासंद बने
-2014 में बोध सिंह भगत को जीत मिली
-2019 में ढाल सिंह बिसेन सांसद चुने गए
-2024 में भारती पारधी को मैदान में उतारा
मुरैना, बालाघाट, रतलाम और विदिशा सीट पर भी सियासी दांव पेंच बदलते रहे। हर बार इन सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया गया। पुराने चेहरों पर भरोसा नहीं किया। बीजेपी को पता है कि इन सीटों पर उसकी जीत सुनिश्चित है। इसलिए हो ये भी सकता है कि बीजेपी ने इन सीटों को अपनी प्रयोगशाला बनाई हो। इसके पिछले कई सियासी मायने भी लगाये जा सकते हैं। हर बार नए चेहरों को मौका देना बीजेपी की एक सियासी रणनीति भी हो सकती है। इससे जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के बीच मैसेज देने की कोशिश रहती है। कांग्रेस ने भी अपना टारगेट फिक्स कर लिया। पार्टी प्रदेश की करीब 24 सीटों को जीतने का दावा कर रही। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरोलिया ने कहा कि बीजेपी को डर है कि इस बार उसकी विनिंग सीट भी उसके हाथ से जा सकती है। इन सीटों को जीतने के लिए बीजेपी जनता में भ्रम फैला रही है। उन्होंने कहा कि इस बार हर दांव बीजेपी के लिए उलटा साबित होगा।
विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद प्रदेश में बीजेपी को हौंसले बुलंद है। कई सियासी मामलों में बीजेपी विपक्ष से आगे चल रही है। हर रणनीति में बीजेपी एक कदम आगे है। टारगेट भी सभी 29 सीटों को जीतने का रखा गया। ऐसे में इन विनिंग सीटों पर फिर से जीत के साथ विदिशा सीट समेत कई सीटों पर रिकॉर्ड बनाने की कोशिश की जा रही है।