भोपाल। पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह (Natwar Singh) का शनिवार की देर रात निधन हो गया। वह 93 साल के थे। लंबे समय से बीमार सिंह ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे कुछ समय से अस्पताल में भर्ती थे। 12 अगस्त को लोधी रोड श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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पाकिस्तान में राजदूत रहे
नटवर सिंह (Natwar Singh) के पास लंबा राजनीतिक अनुभव था। उन्होंने पाकिस्तान, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र में राजदूत के रूप में भी काम किया। इसके साथ ही 1966 से 1971 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे। इस दौरान वह उनके सहायक सचिव रहे। वह यूपीआई सरकार के पहले कार्यकाल में भारत के विदेश मंत्री थे।
पीएम ने जताया दुख
नटवर सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “नटवर सिंह ने डिप्लोमेसी और विदेश नीति की दुनिया में अहम योगदान दिया। वह अपनी बुद्धि के साथ-साथ बेहतरीन लेखन के लिए भी जाने जाते थे। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं।”
घोटाले में आया नाम
नटवर सिंह का जन्म 16 मई 1931 में राजस्थान के भरतपुर में एक शाही परिवार में हुआ। मेयो कॉलेज, अजमेर और कैम्ब्रिज जैसे विश्वविद्यालय से उन्होंने शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उनका चयन भारतीय विदेश सेवा (IFS) में हुआ।
31 साल तक भारतीय विदेश सेवा में काम करने के बाद साल 1984 में उन्होंने कांग्रेस ज्वांइन की। इसी साल उन्होंने भरतपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते। उन्हें 1985 में राजीव गांधी की सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया। सिंह ने इस दौरान इस्पात, कोयला, खान और कृषि विभाग का पद सौंपा गया। इसके बाद वह साल 1986 विदेश राज्य मंत्री बने और 1989 तक इस पद पर बने रहे।
साल 2004 में नटवर सिंह को यूपीए-1 सरकार में विदेश मंत्री बनाया गया। हालांकि 2005 में उनका नाम ‘ऑयल फॉर फूड’ घोटाला में आने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
आत्मकथा में हुआ विवाद
नटवर सिंह के योगदान को देखते हुए साल 1984 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने कई पुस्तकें और संस्मरण भी लिखे। जिसमें उनकी आत्मकथा ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ काफी प्रसिद्ध है। इसमें सिंह ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री नहीं बनने के पीछे की वजह पर बड़ा दावा किया था।
उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा कि 2004 में सोनिया गांधी ने राहुल गांधी की वजह से प्रधानमंत्री का पद नहीं संभाला। नटवर सिंह के मुताबिक राहुल गांधी की जिद थी कि सोनिया गांधी को किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री का पद न संभालें। क्योंकि उन्हें डर था कि उनकी मां को भी उनके पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी की तरह मार दिया जाएगा।
नटवर सिंह के इस खुलासे से उस समय भारतीय राजनीति में सनसनी मच गई थी। क्योंकि उनके द्वारा किया गया यह दावा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के उस दावे के एकदम उलट था, जिसे कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रचारित किया था कि सोनिया गांधी ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर प्रधानमंत्री पद का त्यागा था और डॉ. मनमोहन सिंह को यूपीए सरकार-1 की बागडोर सौंपी थी।