चुनावी बेला में तेज जुबानी वार, राहुल के बयान पर एमपी में सियासी भूचाल 

भोपाल, प्रखर जैन। लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनावी रणभेरी के साथ ही अब सियासी बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है। ऐसे में काँग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान पर एमपी के  सियासी तालाब में भी हलचल मच गई। देखिए हमारी रिपोर्ट…

– आखिर कौन है मोदी के ‘शक्तिमान’
– फिर निकाल आया सियासत में EVM का जिन
– काँग्रेस के निशाने पर EVM ईडी और CBI

चुनावी बेला में सत्ता और विपक्ष के बीच जुबानी जंग तो आम बात है… लेकिन अब इस जुबानी जंग के घेरे में ना केवल सत्ता और विपक्ष की जंग छिड़ी हुई है… बल्कि अब इस जुबानी जंग के टारगेट पर EVM ईडी और CBI जैसी एजेंसियां भी बनी हुई है दरअसल काँग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जहां एक तरफ इस लोकसभा चुनाव में काँग्रेस को फ्रन्ट से लीड करते नजर आ रहे हैं वहीं अपने बयानों के लिए भी चर्चा और विवादों में घिरे हुए हैं… अब जब आचार संहिता लग चुकी है यानि चुनाव की घोषणा हो चुकी है ऐसे में राहुल और भी आक्रामक नजर आ रहे हैं इस बार राहुल के निशाने पर सीधे सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं…अब इस चुनावी बेला में राहुल ने मोदी और EVM ईडी और CBI की तुलना प्राचीन ग्रंथों में बताए गए राजा और राजा की शक्तियों से कर दी है  यानि सीधे सीधे राहुल ने बीजेपी और मोदी पर इन सभी अजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।

ये तो तय बात है की इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से मोदी का ही नेतृत्व है या फिर यूं कहा जाए की प्रत्याशियों का तो केवल नाम है लेकिन चुनाव में बीजेपी की तरफ से मोदी ही फ्रन्ट पर खड़े हुए हैं। ऐसे में मोदी पर वार यानि पूरी की पूरी बीजेपी पर वार… यूं तो राहुल ने ये बयान मुंबई में अपनी भारत जोड़ों न्याय यात्रा के समापन दौरान दिया था लेकिन राहुल के मुंबई मे दिए बयान पर मध्यप्रदेश की सियासी जमीन पर उथल पुथल मैच गई। बात तो यहाँ तक पहुँच गई की राहुल के नेतृत्व और सियासी समझ पर पर भी सवाल खड़े होने लगे।

सियासी वार पलटवार चुनावी बेला में तो आम बात है लेकिन इस बार लोकसभा का चुनाव खास है। चुनावी लड़ाई इस बार मोदी बनाम ऑल की तरफ जाती जा रही है लेकिन इस लड़ाई में evm ईडी और सीबीआई जैसी संस्थाएं शहीद होती दिख रही हैं। हालांकि संस्थाओं का राजनीतिकरण इसके पहले हुए विधानसभा चुनावों में भी दिखाई दिया था। लेकिन उसका परिणाम मन  मुताबिक काँग्रेस को नहीं मिल पाया था। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा की ये बयानबाजी काँग्रेस या बीजेपी किसे ज्यादा मुफीद साबित होता है।

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