बड़े बदलाव के मूड में कांग्रेस, नया फॉर्मूला लागू करने मंथन शुरू

भोपाल, प्रखर जैन। मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी पीढ़ी परिवर्तन के बाद अब बड़े बदलाव करने के मूड में है। लगातार मिल रही चुनावी हार के बाद पार्टी संगठन में आमूल चूल परिवर्तन किए जाएंगे। अंदरखाने में चर्चा युवाओं को आगे बढ़ाकर बीजेपी की तर्ज पर संगठन का कैडर तैयार करने की भी चल रही है…देखिए ये रिपोर्ट

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार क्यों हुई और लोकसभा चुनाव में मतदान तक का सफर कैसा और क्यों रहा। प्रदेश कांग्रेस कमेटी इस पर बारीकी से अध्ययन कर चुकी है। अध्ययन के बाद निचोड़ यह निकला है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस को बीजेपी की तर्ज पर कैडर बेस्ड पार्टी बनना होगा। पीसीसी ने यह फाॅर्मूला लागू करने के लिए मंथन भी शुरू कर दिया है। पीसीसी मंथन कर रही है कि बीजेपी से हटकर दूसरा किस तरह कैडर खड़ा किया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो यह सुझाव निकलकर सामने आया है कि कांग्रेस में किसी भी पद पर एक व्यक्ति को पांच साल से अधिक समय तक नहीं रखा जाएगा। इस सुझाव को कैडर के फाॅर्मूले में लागू किया जा सकता है। वहीं 50 फीसदी पदों पर युवाओं को रखने का फाॅर्मूले पर भी विचार हो रहा है।

फ्रन्टल ऑर्गनाइजेशन: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)
केंद्रीय नेतृत्व: प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड, संगठन महामंत्री
प्रदेश नेतृत्व: मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश संगठन महामंत्री, प्रदेश प्रभारी
मोर्चा और प्रकोष्ठ
जिला कार्यकारिणी
मंडल समिति
शहर समिति
बूथ समिति
पन्ना समिति

संगठन गढ़े चलो… ये शब्द बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय के मुख्य द्वार से जो अंदर जाता है उसे सबसे पहले पढ़ने में आते हैं। इन तीन शब्दों का मतलब है बीजेपी के संगठन की संरचना, जो पोलिंग बूथ के एक पन्ना यानि की 10 से 15 वोटर के बीच एक संगठन की पकड़ जितना गहरा होता है। जिसे आम भाषा में बीजेपी का कैडर कहा जाता है। यही कैडेर है जो देश और प्रदेश में बीजेपी की सफलता का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। इस पूरे कैडर की संरचना बीजेपी के संविधान में भी काफी विस्तार से बनाई गई है। यानि की किसी भी एक नेता पर पूरी पार्टी का निर्भर ना होकर नीचे स्तर पर पब्लिक के बीच पहुंचकर पार्टी की नियत को वोटर के बीच पहुंचना। यही वो बड़ा नेटवर्क है जिसके दम और आरएसएस जैसे फ्रन्टल ऑर्गनाईजेशन के दम पर बीजेपी का संगठन आज अपने इतिहास की सबसे मजबूत स्तिथि में है। वहीं काँग्रेस अपने इतिहास के सबसे बुरे वक्त को काटने के लिए इसी फॉर्मूले को इस्तेमाल करने की रणनीति बना रही है।

5 महीने पहले विधानसभा के चुनाव हुए। काँग्रेस को जितनी सीटों का अनुमान था उससे काही कम मिलीं। लिहाजा पार्टी आला कमान ने प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के साथ की पीढ़ी परिवर्तन करते हुए कमान कमलनाथ से जीतू पटवारी के हाथ सौंप दी। अब पटवारी ने 5 महीनों में क्या कमाल किया ये रिपोर्ट कार्ड तो काँग्रेस आला कमान ही बनाएगी, लेकिन ये बात भी सच है की इस दरमियान जीउ के नेतृत्व में बड़े बड़े पार्टी के किले डहे और बीजेपी में शामिल हो गए। ऐसे में अब ये भी पार्टी आला कमान को आँकलन करना है की बीजेपी की तर्ज पर संगठन गढ़े चलो का नारा लेकर जीतू पटवारी ही इस नए संगठन को गढ़ने का काम करेंगे या कोई और सवाल ये भी है की क्या कांग्रेस की फ्रन्टल ऑर्गनाइजेशन यानी सेवा दल, संघ की तरह अनुशासन और दक्षता से काम कर पाएगा या नहीं ऐसे कई सवाल और हैं जिसका जवाब आने वाले समय के गर्भ में ही समाहित है।

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