ग्वालियर। रविवार की दोपहर को कमलाराजा चिकित्सालय (केआरएच) के पीआईसीयू में एक बड़ी दुर्घटना होते-होते रह गई। ढाई बजे के आसपास शॉर्ट सर्किट से अचानक चिंगारियाँ उठने लगीं और धुआं भर गया, जिससे अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। हालांकि, वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत अग्निशमन यंत्र से आग पर काबू पा लिया, लेकिन इस घटना ने एक और बड़ी चिंता को उजागर किया। शॉर्ट सर्किट जिस बोर्ड में हुआ था, उसके ठीक ऊपर ऑक्सीजन की पाइपलाइन थी। अगर आग पर समय रहते काबू नहीं पाया जाता, तो वह पाइपलाइन तक पहुंच सकती थी, जिससे भयानक हादसा हो सकता था।
केआरएच के पीआईसीयू में आठ बिस्तरों की क्षमता है, लेकिन यहां अक्सर 16 बच्चे भर्ती रहते हैं। इसके अलावा, वेंटीलेटर और अन्य महत्वपूर्ण उपकरण भी पास में थे। यदि आग फैल जाती, तो बच्चों के साथ-साथ इन जीवन रक्षक उपकरणों को भी खतरा हो सकता था। आग की लपटें देखकर घबराए परिजन बच्चों को लेकर बाहर आ गए, लेकिन ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों ने उन्हें शांत किया और स्थिति को नियंत्रित किया।
यह घटना अस्पताल की सुरक्षा उपायों पर एक बड़ा सवाल उठाती है। केआरएच प्रशासन पिछले दो साल से अस्पताल की वायरिंग को बदलने के लिए शासन से 2.75 करोड़ रुपये की मंजूरी की मांग कर रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। यह स्थिति शासन की दोहरी नीति को उजागर करती है, क्योंकि एक तरफ तो जेएएच के ट्रॉमा सेंटर में आग की घटना के बाद वायरिंग बदलने के लिए 37 लाख रुपये का बजट मंजूर किया गया, लेकिन दूसरी तरफ बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए संवेदनशील पीआईसीयू की सुरक्षा के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
जेएएच के ट्रॉमा सेंटर में 3 सितंबर को आग लगने से तीन लोगों की मौत हो गई थी, इसके बाद शासन ने तत्परता से बजट स्वीकृत कर दिया था। वहीं, केआरएच का प्रस्ताव महीनों से भोपाल में अटका हुआ है। 2022 में किए गए फायर ऑडिट में कई खामियाँ उजागर की गई थीं, जिसके लिए 51 लाख रुपये का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन उसे भी नकारा कर दिया गया। इसके बावजूद, फायर सुरक्षा के मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, और 2023 में दी गई सशर्त अनुमति भी अब समाप्त हो चुकी है।
केआरएच की पुरानी बिल्डिंग और जर्जर वायरिंग की स्थिति को देखते हुए, यह सवाल उठता है कि शासन और अस्पताल प्रशासन बच्चों की सुरक्षा को लेकर कब जागेंगे? यहां पहले भी गंभीर घटनाएं हो चुकी हैं। 23 सितंबर 2023 को एसएनसीयू में शॉर्ट सर्किट के कारण धुआं भर गया था, जिसके बाद नवजात बच्चों को मशीनों से शिफ्ट किया गया था। इसके बाद भी वायरिंग बदलने की चर्चा तो हुई, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
क्या शासन और प्रशासन तब तक जागेंगे, जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हो जाता? बच्चों की सुरक्षा से किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। इस मामले में तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।